हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: 20 जुलाई 2025
अलीगढ़, 20 जुलाई: भारत-नेपाल सीमा पर फर्जी इंटरनेशनल परमिट के जरिये निजी बसों के संचालन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बीते दिनों नेपाल सीमा पर सशस्त्र सीमा बल (SSB) ने एक वाहन को रोका, जिसके चालक ने एक विशेष परमिट प्रस्तुत किया। परमिट की वैधता 6 से 12 जुलाई तक थी, जिसे देख SSB अधिकारी चौंक गए। जांच में पता चला कि यह परमिट कूटरचित था। मामले में एआरटीओ प्रवेश कुमार द्वारा अलीगढ़ के बन्नादेवी थाने में वाहन स्वामी ऊषा निवासी उमरी, खैर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए डीजीपी को पत्र लिखकर एसटीएफ जांच की मांग की है। अब एसटीएफ जल्द ही अलीगढ़, बागपत और महाराजगंज जैसे जिलों में डेरा डाल सकती है, जहां जाली परमिट की पुष्टि हो चुकी है। इन परमिटों की उत्पत्ति, जारी करने की प्रक्रिया और संलिप्त अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, गोरखपुर, इटावा और औरैया में भी ऐसे परमिट पेश किए गए हैं, जो भारत-नेपाल यात्री परिवहन समझौता 2014 के नियमों का उल्लंघन करते हैं। वर्तमान कानून के तहत, केवल नेपाल के दूतावास या कांसुलेट द्वारा फॉर्म-सी में जारी परमिट ही वैध होता है। राज्य स्तर पर जारी SR-30 या SR-31 फॉर्म वाले परमिट वैध नहीं माने जाते।
इस मामले में परिवहन विभाग सतर्क हो गया है और फेसलेस परमिट प्रणाली में सुधार की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय को पत्र लिखा गया है। परिवहन आयुक्त ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
हालांकि, अलीगढ़ के आरटीओ दीपक कुमार शाह का कहना है कि यह मामला “फर्जी” नहीं बल्कि “कूटरचित” परमिट का है, जबकि आयुक्त स्तर पर इसे जाली घोषित किया जा चुका है। अब यह जांच का विषय है कि परमिट जारी किस स्तर से और कैसे हुआ। एसपी सिटी मृगांक शेखर पाठक ने कहा कि संबंधित विभाग और वाहन स्वामी से पूछताछ की जाएगी।