हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 28 अप्रैल: 2025,
याचिकाकर्ताओं की चिंता: बच्चों के हाथ में मोबाइल, प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध अश्लील सामग्री
सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील और पोर्नोग्राफिक कंटेंट की मौजूदगी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि आजकल छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन हैं, और उन तक आसानी से आपत्तिजनक सामग्री पहुंच रही है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और निजी कंपनियों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।
याचिकाकर्ताओं की दलील: मौजूदा कानून नाकाफी
पूर्व सूचना आयुक्त उदय माहुरकर समेत पांच याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि मौजूदा कानूनी व्यवस्था ऑनलाइन अश्लीलता पर लगाम लगाने में विफल रही है। उन्होंने सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को पत्र लिखकर आपत्ति जताई थी, लेकिन अधिकांश कंपनियों ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि वे किसी कानून का उल्लंघन नहीं कर रहे।
याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी ज्ञापन सौंपे थे। याचिका में बताया गया कि इन प्लेटफॉर्म्स पर सॉफ्ट पोर्न से लेकर चाइल्ड पोर्नोग्राफी तक की सामग्री उपलब्ध है, जो भारतीय दंड संहिता (BNS), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) और बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) के प्रावधानों का उल्लंघन करती है।
सरकार का रुख: जल्द उठाए जाएंगे कदम
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा बताए गए उदाहरण केवल ‘अश्लीलता’ तक सीमित नहीं हैं, बल्कि कई बार उससे भी अधिक विकृत कंटेंट मौजूद है। उन्होंने कहा कि ऐसी सामग्री है, जिसकी चर्चा भी शर्मनाक है। तुषार मेहता ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रही है और जल्द ही आवश्यक कदम उठाएगी।
कोर्ट की टिप्पणी: समाधान सरकार के दायरे में
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने याचिकाकर्ताओं की बातों से सहमति जताई, लेकिन स्पष्ट किया कि इस समस्या का हल निकालना सरकार का काम है। कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
किन-किन कंपनियों को बनाया गया पक्ष?
याचिका में केंद्र सरकार के अलावा सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जैसे एक्स (पूर्व में ट्विटर), मेटा (फेसबुक), नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, आल्ट बालाजी, उल्लू डिजिटल, मुबी, गूगल और एप्पल को भी पक्षकार बनाया गया है। इन सभी को कोर्ट द्वारा नोटिस भेजा गया है।