हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: बुधवार 25 जून 2025
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महिलाओं और बच्चों के कल्याण की दिशा में लगातार प्रभावशाली कदम उठा रही है। महिला कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश के समस्त संरक्षण गृहों, बालगृहों, महिला शरणालयों और वृद्धाश्रमों को और अधिक सुरक्षित, सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से नई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 10.67 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि इन संस्थाओं को प्रदान की है। यह राशि भोजन, वस्त्र, स्वास्थ्य, शिक्षा, उपकरण और आउटसोर्सिंग सेवाओं जैसे आवश्यक मदों के लिए दी गई है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक संस्थान में स्वास्थ्य जांच के माध्यम से मेडिकल प्रोफाइलिंग भी अनिवार्य की गई है।
संस्थानों में संवासियों के लिए बढ़ाई गई सुविधाएं
- बाल देखरेख संस्थानों में रहने वाले बच्चों के लिए ₹4000 प्रति माह भोजन एवं ₹3000 अन्य आवश्यकताओं के लिए प्रदान किए जा रहे हैं।
- राजकीय महिला गृहों में संवासियों को ₹4700 प्रति माह भोजन और ₹800 पर्सनल हाइजीन के लिए दिए जा रहे हैं।
- 561 बच्चों का नामांकन डीपीएस, रयान इंटरनेशनल और स्टडी हॉल जैसे निजी स्कूलों में कराया गया है, जिससे उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
भावनात्मक जुड़ाव को भी मिला स्थान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केवल आर्थिक सहायता ही नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और सहभागिता को भी योजना का अभिन्न हिस्सा बनाया है। उन्होंने जिलाधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों से आह्वान किया है कि वे इन आश्रय गृहों को “गोद लें” और व्यक्तिगत अवसरों पर यहां समय बिताएं। इससे आश्रय गृहों में रहने वाले बच्चों और महिलाओं को आत्मीयता का अनुभव होगा।
सामाजिक भागीदारी और कौशल विकास को बढ़ावा
सरकार ने प्रशासन, सामाजिक संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं और तकनीकी संस्थानों से इन आश्रय गृहों में शैक्षिक सहयोग, कौशल विकास, आर्ट एंड क्राफ्ट, खेलकूद, कैरियर काउंसलिंग और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
संरचनात्मक सुधार के लिए अलग बजट
प्रयागराज, हरदोई, गाजीपुर, मेरठ, मऊ और इटावा जिलों में लघु निर्माण कार्यों के लिए 219 लाख रुपये की धनराशि जारी की गई है, जिससे संरचनात्मक सुधार और बुनियादी सुविधाओं को उन्नत किया जा सके।
तीन स्तंभों पर आधारित रणनीति
महिला एवं बाल कल्याण की इस व्यापक योजना को “संवेदनशीलता, जिम्मेदारी और सहभागिता” की त्रिसूत्रीय रणनीति के आधार पर संचालित किया जा रहा है। सरकार का यह कदम प्रदेश की हजारों असहाय महिलाओं और बच्चों को न केवल आश्रय और सुरक्षा प्रदान कर रहा है, बल्कि उन्हें एक सम्मानजनक और आत्मनिर्भर जीवन की ओर अग्रसर भी कर रहा है।