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वक्फ संशोधन कानून पर सियासी संग्राम: एएमयू के पूर्व छात्र नेता ने बताया ‘नौटंकी’, सूफी कशिश वारसी ने किया समर्थन

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 14अप्रैल: 2025,

वक्फ संशोधन कानून को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर सियासी हलचल तेज हो गई है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) छात्र यूनियन के पूर्व उपाध्यक्ष सैयद मसूद उल हसन ने प्रधानमंत्री के बयान को सिरे से खारिज करते हुए तीखा विरोध जताया है। वहीं, भारतीय सूफी फाउंडेशन के अध्यक्ष सूफी कशिश वारसी ने इस बयान का समर्थन किया है और इसे गरीब मुसलमानों के लिए फायदेमंद बताया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में कहा था कि वक्फ संशोधन कानून के आने से अब किसी मुस्लिम युवा को साइकिल पंचर बनाकर नहीं जीना पड़ेगा, बल्कि इससे उनकी ज़िंदगी में तरक्की और खुशहाली आएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून के चलते अब आदिवासियों की ज़मीन पर कोई कब्ज़ा नहीं कर पाएगा।

सैयद मसूद उल हसन ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का यह बयान केवल “नौटंकी और तमाशा” है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी मुसलमानों को अगड़े और पिछड़े में बांटना चाहते हैं, जैसे उनके दल में मनुवादी और पूंजीपति वर्ग हैं। मसूद ने कहा,

“हमारे यहां नमाज़ में सब बराबर होते हैं। कोई अगड़ा-पिछड़ा नहीं होता। अगर मोदी जी पसमांदा मुसलमानों के इतने हितैषी हैं तो 7% आरक्षण पसमांदा मुसलमानों के लिए क्यों नहीं देते?”

उन्होंने आगे वक्फ संपत्तियों को लेकर कहा कि प्रधानमंत्री को इसकी जानकारी नहीं है।

“वक्फ की 60% संपत्तियां तो कब्रिस्तान की हैं, मोदी जी वहां से कौन सा पैसा कमाएंगे? क्या मुर्दों का व्यापार कर के पैसे कमाएंगे? बीजेपी की सियासत हमेशा लाशों पर टिकी रही है।”

दूसरी तरफ, सूफी कशिश वारसी ने प्रधानमंत्री के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि पिछली सरकारों की लापरवाही के चलते वक्फ संपत्तियां और कब्रिस्तान तक बिक गए। उन्होंने कहा कि

“हम प्रधानमंत्री से मांग करते हैं कि वक्फ संपत्तियों को भू-माफियाओं से कब्जा मुक्त कराया जाए और वहां स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और अस्पताल बनें ताकि गरीब मुसलमानों को फायदा हो।”

उन्होंने यह भी अपील की कि लोग सियासत के बहकावे में न आएं और कानून को अपने हाथ में न लें।

“देश और समाज में अमन से बढ़कर कुछ नहीं है,” – सूफी कशिश वारसी

इस मुद्दे पर मुरादाबाद समेत उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में मुस्लिम समाज के बीच अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं।

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