पीड़िता की पहचान रहती है गुप्त, फिर आरोपी का नाम क्यों सार्वजनिक?
हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 12अप्रैल: 2025,
दुष्कर्म के मामलों में आमतौर पर पीड़िता की पहचान को गोपनीय रखा जाता है। कानून के मुताबिक, पीड़िता का नाम, पता और अन्य पहचान से जुड़ी जानकारी मीडिया या सार्वजनिक मंचों पर साझा नहीं की जा सकती। लेकिन इसी संवेदनशीलता का पालन आरोपी के साथ क्यों नहीं किया जाता? इस मुद्दे पर अब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया है।
सरकार को 4 हफ्तों में देना होगा जवाब
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की पीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह इस प्रश्न का जवाब चार सप्ताह के भीतर अदालत में प्रस्तुत करे। यदि सरकार समय पर जवाब देने में असफल रहती है, तो उसे ₹15,000 का जुर्माना भरना होगा। यह राशि हाई कोर्ट विधिक सहायता कमेटी में जमा की जाएगी।
जबलपुर के डॉक्टर्स ने दायर की थी याचिका
यह मामला जबलपुर के निवासी डॉ. पी. जी. नाजपांडे और डॉ. एम. ए. खान द्वारा दायर जनहित याचिका से जुड़ा है। उनके वकील अजय रायजादा ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि जब तक किसी पर आरोप सिद्ध नहीं हो जाता, वह कानूनन निर्दोष माना जाता है। ऐसे में दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों में आरोपी का नाम उजागर करना उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाता है।
फिल्म इंडस्ट्री का भी दिया गया उदाहरण
अजय रायजादा ने कोर्ट को बताया कि फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर समेत कई प्रमुख हस्तियों पर दुष्कर्म के आरोप लगे, लेकिन बाद में वे बेगुनाह साबित हुए। बावजूद इसके, उनके नाम सामने आने से उनकी छवि को अपूरणीय क्षति हुई। उन्होंने मांग की कि ट्रायल पूरा होने तक दुष्कर्म के आरोपी का नाम भी गुप्त रखा जाए, जिससे उसकी प्रतिष्ठा पर गलत प्रभाव न पड़े।
कोर्ट ने लैंगिक भेदभाव पर उठाया सवाल
अदालत ने यह भी सवाल किया कि यदि पीड़िता की पहचान छिपाना जरूरी है, तो क्या आरोपी की पहचान उजागर करना लैंगिक भेदभाव नहीं है? यह संविधान के समानता के अधिकार के खिलाफ प्रतीत होता है। इसी आधार पर कोर्ट ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।