हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
बिहार के समस्तीपुर जिले में सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र के शीतलपट्टी गांव के पास कचरे में हजारों वीवीपैट (VVPAT) पर्चियां मिलने से हड़कंप मच गया। स्थानीय लोगों द्वारा सूचना देने पर प्रशासनिक टीम मौके पर पहुंची और पर्चियों को जब्त कर सील कर दिया। जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा ने बताया कि कुछ पर्चियां श्रेडेड थीं, जबकि कुछ अखंड अवस्था में मिलीं, जिनकी जांच की जा रही है।
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि ये पर्चियां संभवतः मतदान से पहले की कमीशनिंग प्रक्रिया से जुड़ी हैं, जिसमें मशीनों की जांच के लिए 5% मशीनों पर मॉक पोल किया जाता है। इन परीक्षणों के बाद निकली पर्चियां सामान्यतः नष्ट की जाती हैं। उन्होंने माना कि संभवतः लापरवाही के कारण कुछ पर्चियां पूरी तरह नष्ट नहीं हुईं। इस मामले में संबंधित कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है और विस्तृत जांच शुरू हो गई है।
घटना के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, जो पहले ही ईवीएम और वीवीपैट की पारदर्शिता पर सवाल उठा चुके हैं, के “वोट चोरी” वाले आरोपों को यह घटना नया संदर्भ देती दिख रही है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि यदि यह सिर्फ मॉक पोल की पर्चियां थीं, तो उन्हें इतनी लापरवाही से क्यों फेंका गया।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह मामला केवल तकनीकी चूक नहीं बल्कि प्रशासनिक संवेदनशीलता की कमी भी दर्शाता है। ऐसी घटनाएं जनता के चुनावी प्रणाली पर विश्वास को कमजोर करती हैं और लोकतंत्र की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करती हैं। बिहार जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में इसका असर सीमित नहीं रहेगा।
अब सबकी निगाहें जांच रिपोर्ट पर हैं, जो यह तय करेगी कि यह केवल एक प्रशासनिक गलती थी या चुनावी तंत्र में किसी बड़ी खामी का संकेत। लोकतंत्र की रीढ़ पारदर्शिता है, और यह घटना उस भरोसे की गंभीर परीक्षा बन गई है।













