हिन्दुस्तान मिरर न्यूज
लखनऊ, 23 जुलाई 2025: सीबी‑सीआईडी ने आज भातखंडे संगीत एवं संस्कृति विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. श्रुति सरोडीकर काटकर के कार्यकाल (2018–2020) में कथित करोड़ों के घोटाले में सहयोगी रहे दो प्रोफेसरों—मनोज मिश्रा एवं ज्ञानेंद्र दत्त बाजपेई—को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। साथ ही विश्वविद्यालय के 12 फर्मों से जुड़े सात ठेकेदारों को भी हिरासत में लेकर न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
सीबी‑सीआईडी के महानिरीक्षक ने बताया कि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के फर्जी नियुक्ति एवं निर्माण संबंधी भ्रष्टाचार की जांच 2020 में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की निर्देशानुसार शुरू हुई थी। उस समय विश्वविद्यालय में अनुचित बोलबाला बनाने एवं अनुबंधों में मनमानी दरें तय करने का मामला सामने आया था। प्रदेशपाल के साथै राष्ट्रीय सहारा अखबार ने भी इस मामले पर व्यापक अभियान चलाकर केंद्र तथा राज्य सरकार का ध्यान इस घोटाले की ओर आकर्षित कराया था।
आज की कार्रवाई में दो प्रोफेसरों के अलावा उन फर्मों के ठेकेदार शामिल हैं, जिनके माध्यम से निर्माण कार्यों के बिलों में कालाधन का लेन‑देन और बनौतों की लंबित भुगतान के एवज में वसूली की गुस्ताखियाँ की गईं। आरोपियों पर करोड़ों रुपए के फर्जी बिल कटवाकर विश्वविद्यालय को चूना लगाने का आरोप है।
इधर, एसपी सीबी‑सीआईडी ने बताया कि पांचवीं कक्षा तक पढ़े प्रशासनिक अधिकारी रामकुमार के घर भी आज छापा मारा गया; लेकिन वह मौके से फरार हो गया है। रामकुमार पर भी विभागीय अनियमितताओं में संलिप्त होने के गंभीर आरोप हैं। उसकी गिरफ्तारी के लिए टीम गठित कर दी गई है और जल्द गिरफ्तारी का दावा किया गया है।
याद रहे, 2 साल पहले ही सरकारी शिकायतों के आधार पर प्रो. श्रुति सरोडीकर काटकर को उनके पद से हटाया गया था और कैसरबाग थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। उस समय उनका कार्यकाल बिना किसी प्रशासकीय सहमति के फर्जी नियुक्तियों और निर्माण कार्यों में मनमानी के कारण विवादों में आ गया था। आज की गिरफ्तारी से विश्वविद्यालय में सालों से चली आ रही अव्यवस्थाओं एवं गड़बड़ियों पर एक बड़ी कार्यवाही का संकेत मिलता है।
सीबी‑सीआईडी की आगे की जांच में अन्य संलिप्त अधिकारियों और लाभार्थियों की भूमिका भी उजागर होने की संभावना है, जिससे भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में पारदर्शिता बहाल हो सकेगी।