हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 1 मई : 2025,
गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात में तीन बड़े मुद्दों पर हुई चर्चा
उत्तर प्रदेश में 2026 के प्रस्तावित विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर तीन अहम मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें यूपी पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में बदलाव की मांग प्रमुख रही।
राजभर की अहम मांग: जिला पंचायत अध्यक्ष और प्रमुखों का सीधा चुनाव हो
राजभर ने बताया कि उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष यह मांग रखी कि उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत प्रमुख (ब्लॉक प्रमुख) का चुनाव सीधे जनता से कराया जाए। वर्तमान में इन पदों का चुनाव पंचायत सदस्यों और बीडीसी (ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल) सदस्यों द्वारा होता है।
उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य लोकतंत्र को मजबूत करना और सत्ता में जनता की सीधी भागीदारी सुनिश्चित करना है। उनका मानना है कि जनता द्वारा सीधे चुने गए पदाधिकारी ज्यादा जवाबदेह होंगे और लोकतांत्रिक मूल्यों का बेहतर पालन होगा।
जातीय जनगणना और बिहार चुनाव भी चर्चा का विषय
राजभर ने बताया कि अमित शाह से मुलाकात का एक उद्देश्य उन्हें हालिया कैबिनेट फैसले पर बधाई देना भी था, जिसमें जातीय जनगणना को मंजूरी दी गई है। उन्होंने इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
साथ ही, उन्होंने यह भी खुलासा किया कि बिहार चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई है। राजभर ने कहा कि गृह मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया है कि वे बिहार के लोगों से बातचीत के बाद 20-25 दिन में एक और बैठक करेंगे।
क्यों अहम है पंचायत चुनाव प्रक्रिया में बदलाव की मांग?
उत्तर प्रदेश में अगले साल त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं। वर्तमान व्यवस्था के अनुसार:
- जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जिला पंचायत सदस्यों द्वारा किया जाता है।
- ब्लॉक प्रमुख (प्रमुख) का चुनाव बीडीसी सदस्यों द्वारा होता है।
राजभर की मांग अगर स्वीकार की जाती है, तो यह राज्य की पंचायत चुनाव प्रणाली में एक बड़ा बदलाव होगा। इसके कई सकारात्मक पहलू हो सकते हैं:
- जनता की सीधी भागीदारी
- भ्रष्टाचार की संभावना में कमी
- लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करना
- राजनीतिक अस्थिरता में कमी, क्योंकि कई बार सत्ता परिवर्तन पर अविश्वास प्रस्ताव लाकर अध्यक्षों को हटाया जाता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार और केंद्र इस मांग पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या यह बदलाव 2026 के पंचायत चुनावों से पहले लागू हो पाएगा।