हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ बुधवार 28 मई 2025
नई दिल्ली, 28 मई 2025: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा कथित आपत्तिजनक बयान को लेकर गठित विशेष जांच दल (SIT) की स्थिति रिपोर्ट को स्वीकार करने का आदेश दिया है। यह रिपोर्ट राज्य कैडर के तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों द्वारा तैयार की गई है, जिसमें एक महिला अधिकारी भी शामिल हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की दो सदस्यीय पीठ ने सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह इस रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर ले।
यह घटनाक्रम उस समय सामने आया है जब अदालत की यही पीठ बुधवार, 28 मई 2025 को विजय शाह की विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर फिर से सुनवाई करने जा रही है। इस याचिका में शाह ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनके खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। उच्च न्यायालय ने यह आदेश उनकी कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर दिया था।
मामला 12 मई 2025 का है, जब मध्य प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने इंदौर जिले के महू क्षेत्र के रायकुंडा गांव में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए विवादास्पद बयान दिया था। उन्होंने केंद्र सरकार के सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए कहा था कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान में मौजूद लोगों की तरह उसी समुदाय की एक बहन को भेजा है।” इस बयान के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया, खासकर सैन्य सेवाओं से जुड़े वर्गों और महिला अधिकारियों के बीच।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और SIT का गठन
इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई 2025 को राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) को निर्देश दिया कि वे एक तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन करें। इस टीम में एक महिला आईपीएस अधिकारी को शामिल करने का विशेष निर्देश दिया गया था। आदेश के अनुसार:
- SIT का नेतृत्व पुलिस महानिरीक्षक (IG) स्तर का अधिकारी करेगा।
- अन्य दो सदस्य पुलिस अधीक्षक (SP) या उससे वरिष्ठ रैंक के होंगे।
- टीम भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152, 196(1)(B) और 197 के अंतर्गत दर्ज FIR की जांच करेगी।
- जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक मंत्री विजय शाह के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई (जैसे गिरफ्तारी) नहीं की जाएगी, लेकिन उन्हें जांच में पूरा सहयोग देना होगा।
SIT की जांच में अब तक क्या हुआ?
DGP कैलाश मकवाना के निर्देश पर गठित इस तीन सदस्यीय टीम ने 25 मई को रायकुंडा गांव का दौरा किया, जहाँ विवादास्पद टिप्पणी की गई थी। टीम ने स्थानीय सरपंच, पंचायत सचिव और अन्य उपस्थित लोगों से बातचीत की। उन्होंने कार्यक्रम के वीडियो फुटेज, तस्वीरें और उपस्थित लोगों की सूची जैसे सबूत इकट्ठा किए। SIT ने बयान दर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है और रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई है।
उच्च न्यायालय का निर्देश और अवमानना की चेतावनी
इससे पहले 14 मई को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने DGP को आदेश दिया था कि वे चार घंटे के भीतर विजय शाह के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करें। अदालत ने स्पष्ट किया था कि आदेश की अवहेलना की स्थिति में डीजीपी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है।
अब सुप्रीम कोर्ट 28 मई 2025 को विजय शाह की SLP पर सुनवाई करेगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कोर्ट SIT की रिपोर्ट के आधार पर क्या रुख अपनाता है और क्या FIR रद्द की जाती है या उस पर आगे की कानूनी प्रक्रिया जारी रहती है।