हिन्दुस्तान मिरर | 07 जुलाई 2025
अलीगढ़: सोमवार को हुई भारी बारिश ने शहर को पानी-पानी कर दिया। सुबह से ही शहर में जलभराव की स्थिति बनी रही, लेकिन जब पानी जजेज़ कंपाउंड और अधिकारियों के बंगलों तक जा पहुँचा, तब नगर निगम की नींद टूटी। नगर निगम की टीमें सक्रिय तो हुईं, मगर कई घंटे की मशक्कत के बाद भी जलनिकासी पूरी तरह नहीं हो सकी।

शहर की वीआईपी कालोनियों में भी हालात बदतर हो गए। विशेषकर जजेल कंपाउंड, जहाँ जिला न्यायालय के न्यायाधीशों, एसपी ग्रामीण, एसपी ट्रैफिक और अपर नगर आयुक्त जैसे आला अधिकारियों के आवास स्थित हैं—वहां बारिश का पानी घरों में घुस गया। नगर निगम की ओर से तत्काल टैंकर लगाए गए जो बारिश का पानी निकालने में जुटे रहे। बावजूद इसके, दोपहर तक भी जलभराव से पूरी तरह निजात नहीं मिल सकी।

रामघाट रोड, मैरिस रोड, बन्नादेवी और सिविल लाइंस जैसे इलाकों की हालत तो पहले से ही खस्ता रही, लेकिन जब अधिकारियों के आवास भी जलमग्न हो गए, तब नगर निगम हरकत में आया। नगर निगम की कई गाड़ियाँ तैनात कर दी गईं, जो पानी निकालने का प्रयास करती रहीं। अंततः शाम होते-होते जब बारिश थमी और सड़कों पर पानी की आवाजाही कम हुई, तब जाकर लोगों को थोड़ी राहत मिली।
हर साल की तरह इस बार भी नगर निगम ने मानसून से पहले नालों की सफाई का दावा किया था। मगर सोमवार की बारिश ने एक बार फिर नगर निगम के सभी दावों की पोल खोल दी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत सुधार की बातें तो होती रहीं, लेकिन जमीनी हकीकत यह रही कि आमजन ही नहीं, खुद अफसर भी बारिश के पानी में फंसे नजर आए।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि पहले ही शहर के जल निकासी तंत्र को दुरुस्त किया गया होता, तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती। बारिश का पानी सिर्फ आम इलाकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वीआईपी क्षेत्रों को भी चपेट में ले लिया। यह स्थिति शहर के विकास कार्यों की असल तस्वीर को उजागर करती है।
अलीगढ़ शहर में बारिश ने न सिर्फ आमजन, बल्कि अफसरों को भी परेशान कर दिया। इस घटना ने दिखा दिया कि स्मार्ट सिटी के नाम पर सिर्फ योजनाएं बनाई जा रही हैं, लेकिन ज़मीन पर व्यवस्था आज भी उतनी ही कमजोर है जितनी वर्षों पहले थी।