हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ 24 मई : 2025
नई दिल्ली/इस्लामाबाद, 24 मई 2025 भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुई सिंधु जल संधि एक बार फिर विवाद के केंद्र में आ गई है। हाल ही में भारत द्वारा इस संधि को स्थगित करने के फैसले पर पाकिस्तान ने गंभीर चिंता जताई है, वहीं भारत ने इसे पूरी तरह न्यायोचित और परिस्थितिजन्य फैसला बताया है।
पाकिस्तानी सांसद सैयद अली जफर ने शुक्रवार को एक बयान में कहा,
“अगर हम पानी के इस मुद्दे को हल नहीं करेंगे, तो हम भूखे मर सकते हैं। हमारी 90 फीसदी फसलें इसी पानी पर निर्भर हैं। इंडस बेसिन हमारी लाइफलाइन है और इसका तीन चौथाई पानी बाहर से आता है।”
उन्होंने भारत के निर्णय को पाकिस्तान के लिए आर्थिक और खाद्य सुरक्षा के लिहाज से गंभीर खतरा बताया। पाकिस्तान का कहना है कि सिंधु जल संधि के माध्यम से मिलने वाला पानी उनकी कृषि प्रणाली की रीढ़ है और इस पर किसी भी प्रकार का अड़चन उनके लिए विनाशकारी हो सकता है।
शनिवार को विदेश मंत्रालय ने संसद की एक समिति को जानकारी देते हुए कहा कि
“संधि को स्थगित करने का फैसला, मित्रता और सद्भावना जैसे मूल सिद्धांतों को पाकिस्तान द्वारा पहले ही स्थगित किए जाने का स्वाभाविक परिणाम है।”
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने अपनी ब्रीफिंग में स्पष्ट किया कि
“1960 की संधि की प्रस्तावना में यह स्पष्ट है कि इसे मित्रता और सद्भावना की भावना के तहत लागू किया गया था। लेकिन अब पाकिस्तान ने इन सभी सिद्धांतों का उल्लंघन किया है।”
भारत ने इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन सुनिश्चित करने के लिए एक 33 देशों की यात्रा कर रहे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है। इस अभियान के तहत 7 टीमें बनाई गई हैं जिनमें सांसद, वरिष्ठ राजनयिक और पूर्व केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। इन प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य दुनिया की राजधानियों को भारत की स्थिति से अवगत कराना है और यह बताना है कि यह निर्णय पाकिस्तान की नीतियों की प्रतिक्रिया में लिया गया है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, संधि के प्रावधानों की समीक्षा वर्तमान तकनीकी और पर्यावरणीय परिस्थितियों में जरूरी हो गई है। जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियरों के पिघलने और नई इंजीनियरिंग तकनीकों के चलते पानी के प्रवाह और नियंत्रण को लेकर नई बातचीत की आवश्यकता है।
हालांकि इस पूरे घटनाक्रम के बीच भारत सरकार ने साफ किया है कि ऑपरेशन सिंदूर और अन्य सैन्य गतिविधियों के बावजूद चालू वित्त वर्ष में अतिरिक्त रक्षा बजट की आवश्यकता नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार का मानना है कि वर्तमान रक्षा बजट पर्याप्त है।