हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
मद्रास हाईकोर्ट में एक महिला द्वारा अपनी वास्तविक आय छिपाने का मामला सामने आया है। तलाकशुदा महिला ने पति से अधिक गुजारा भत्ता पाने के लिए अदालत में गलत जानकारी दी थी। उसने कोर्ट को अपनी मासिक सैलरी ₹87,876 बताई, जबकि वास्तविक आय लगभग ₹1 लाख थी। इस झूठे हलफनामे के आधार पर अदालत ने पहले पति को ₹15,000 प्रति माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था।
हालांकि, पति के वकील एपी लोगनाथन ने अदालत के समक्ष महिला की असली सैलरी के दस्तावेज प्रस्तुत किए। इससे साबित हो गया कि महिला ने कोर्ट को गुमराह किया था। हाईकोर्ट ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि बच्चे के पालन-पोषण की जिम्मेदारी सिर्फ पिता की नहीं, बल्कि दोनों माता-पिता की होती है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी को भी अपने हित के लिए कानून का दुरुपयोग करने का अधिकार नहीं है।
मामला दिसंबर 2022 का है। महिला ने अपने बेटे के पालन-पोषण के लिए ₹15,000 मासिक भत्ता मांगा था। लेकिन सच्चाई सामने आने पर अदालत ने गुजारा भत्ता घटाकर ₹10,000 कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सत्य को छिपाना न्याय की प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ है और ऐसे मामलों में पारदर्शिता आवश्यक है।













