हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: गुरुवार 12 जून 2025 नई दिल्ली
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण को 2029 के आम चुनाव से पहले लागू करने की दिशा में तेजी से कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, सरकार इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को नए परिसीमन के आधार पर हासिल करने की योजना बना रही है।
‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023’, जो सितंबर 2023 में संसद से पारित हुआ था, लोकसभा और विधानसभाओं में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान करता है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए नई जनगणना और परिसीमन की शर्त रखी गई थी। अब सरकार ने घोषणा की है कि 1 मार्च 2027 से पहले दो चरणों में जनगणना पूरी होगी, जिसमें स्वतंत्र भारत में पहली बार जातिगत आंकड़े भी शामिल होंगे। यह जनगणना नए परिसीमन की नींव रखेगी।
पहले माना जा रहा था कि महिला आरक्षण 2034 के आम चुनाव तक लागू होगा, लेकिन अब केंद्र सरकार 2029 को लक्ष्य बनाकर रणनीति तैयार कर रही है।
दक्षिण भारत की चिंताओं का समाधान
परिसीमन आयोग के सामने सबसे बड़ी चुनौती दक्षिणी राज्यों की चिंताओं को दूर करना है। ये राज्य आशंकित हैं कि जनसंख्या के आधार पर सीटों का निर्धारण होने से उन राज्यों को नुकसान होगा, जिन्होंने 1970-80 के दशक में जनसंख्या नियंत्रण नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू किया था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने फरवरी 2025 में तमिलनाडु के कोयंबटूर में कहा था, “परिसीमन से दक्षिण भारत की कोई संसदीय सीट कम नहीं होगी।” सरकार ने क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने का आश्वासन दिया है।
जनगणना और परिसीमन की समयसीमा
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार 2029 तक महिला आरक्षण लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “जनगणना जल्द शुरू होगी और अगले तीन वर्षों में इसे पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होगी।”
यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो 2029 के आम चुनाव भारतीय लोकतंत्र में ऐतिहासिक बदलाव लाएंगे, जहां महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में समान प्रतिनिधित्व मिलेगा।
लैंगिक समानता की दिशा में ऐतिहासिक कदम
यह कदम देश में राजनीतिक भागीदारी में लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन लाएगा। अब सभी की नजरें केंद्र सरकार की आगामी कार्यवाहियों और जनगणना की समयसीमा पर टिकी हैं।