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एएमयू विमेंस कॉलेज में ड्रोन आधारित जियो-स्पैशियल तकनीक और पर्यावरण अध्ययन पर कार्यशाला

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:

अलीगढ़, 13 सितम्बरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विमेंस कॉलेज के भूगोल विभाग द्वारा अब्दुल्ला हॉल में “ड्रोन आधारित जियो-स्पैशियल तकनीक और पर्यावरण अध्ययन” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें शिक्षाविदों, उद्योग विशेषज्ञों और छात्रों ने पर्यावरणीय अनुसंधान में ड्रोन तकनीक के अनुप्रयोगों पर समृद्ध संवाद किया।

इस कार्यशाला का समन्वय डॉ. मोहम्मद फिरोज अहमद ने किया। इसमें ड्रोन तकनीक और भू-स्थानिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के एकीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया तथा पारंपरिक भू-स्थानिक डाटा संग्रहण विधियों में क्रांतिकारी बदलाव की संभावनाओं को रेखांकित किया गया। चर्चाओं में यह भी बताया गया कि उन्नत सेंसर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित उपकरणों से लैस ड्रोन पारंपरिक हवाई सर्वेक्षण के मुकाबले सटीक, कम लागत वाले और समय बचाने वाले विकल्प प्रदान कर सकते हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विमेंस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मसूद अलवी ने शोध में आधुनिक तकनीकों को अपनाने के महत्व पर प्रकाश डाला और छात्रों को नए उपकरणों और कार्यविधियों से सक्रिय रूप से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।

डॉ. फिरोज अहमद के निर्देशन में पीएचडी शोधार्थी उमरा सिद्दीकी ने शोधपत्र प्रस्तुत किया, जिसमें ड्रोन तकनीक की पृष्ठभूमि, उसका भू-स्थानिक विज्ञान के साथ एकीकरण और पर्यावरणीय अध्ययनों में उसकी बढ़ती प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा की गई।

मुख्य वक्तव्य में डॉ. महजबीन ने भूगोल में रिमोट सेंसिंग की भूमिका पर प्रकाश डाला और पर्यावरणीय विश्लेषण में डाटा आधारित दृष्टिकोण की अहमियत समझाई।

तकनीकी सत्रों में अकादमिक और उद्योग जगत के प्रख्यात विशेषज्ञ शामिल रहे। दिल्ली स्थित फॉरे इंस्टीट्यूट ऑफ ड्रोन टेक्नोलॉजी के सीनियर जीआईएस एनालिस्ट विजय ताम्बे ने ड्रोन आधारित जियो-इनफॉरमैटिक्स में करियर के अवसरों और पेशेवर प्रशिक्षण की संभावनाओं पर व्याख्यान दिया। स्काईनैप (जीआईएस इंडस्ट्री) से अरुण शर्मा और सिसोदिया ने व्यावहारिक अनुप्रयोगों का प्रदर्शन किया और प्रतिभागियों के लिए लाइव ड्रोन फ्लाइट सत्र आयोजित किया। पश्चिम बंगाल से डॉ. गिबेन ने ड्रोन तकनीक में भविष्य के नवाचारों और इसके बहु-विषयक उपयोगों पर विचार साझा किए।

इन सत्रों में सैद्धांतिक चर्चाओं को व्यावहारिक प्रदर्शनों के साथ जोड़ा गया, जिससे प्रतिभागियों को समग्र शिक्षण अनुभव प्राप्त हुआ।

कार्यशाला का समापन वक्ताओं और विशिष्ट अतिथियों को प्राचार्य, विमेंस कॉलेज द्वारा स्मृति-चिह्न भेंट कर किया गया। डॉ. मंसूर आलम सिद्दीकी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

इस आयोजन ने छात्रों को ड्रोन आधारित जियो-स्पैशियल तकनीकों की नवीनतम प्रगतियों और पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में उनकी भूमिका से अवगत कराया। अकादमिक दृष्टिकोण और औद्योगिक अनुभव को जोड़ते हुए कार्यशाला ने नवाचार, विनियमन और सहयोग को कृषि, शहरी नियोजन, आपदा प्रबंधन और स्मार्ट सिटी विकास जैसे क्षेत्रों में सतत ड्रोन-आधारित समाधान को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण तत्व के रूप में रेखांकित किया।

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