हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
अलीगढ़, 22 अगस्त 2025।
बासमती चावल की गुणवत्ता बनाए रखने और उसके निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिले में 11 कीटनाशक रसायनों के प्रयोग, बिक्री और वितरण पर 60 दिनों की रोक लगा दी गई है। यह निर्णय प्रदेश स्तर से जारी अधिसूचना के तहत लागू किया गया है।
किन रसायनों पर लगी रोक
प्रतिबंधित कीटनाशकों में ट्राईसाइक्लाजोल, बुप्रोफेजिन, एसीफेट, क्लोरपाइरीफास, हेक्साकोनोजोल, प्रोपिकोनाजोल, थायोमेथाक्साम, प्रोफेनोफास, इमिडाक्लोप्रिड, कार्वोफ्यूरॉन और कार्वेण्डाजिम शामिल हैं। किसी भी प्रकार के फॉर्मूलेशन में इन रसायनों का उपयोग अब बासमती चावल की खेती में नहीं किया जाएगा।
रोक का उद्देश्य
जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि इन रसायनों से चावल में अवशेष स्तर (एमआरएल) अधिक पाया जाता है। इससे यूरोपीय संघ, अमेरिका और खाड़ी देशों जैसे प्रमुख आयातक देशों में निर्यात प्रभावित होता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 की तुलना में 2021-22 में बासमती निर्यात में 15% की गिरावट दर्ज की गई। इसी वजह से भारत सरकार के एपीडा और सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, मेरठ ने भी इस पाबंदी का समर्थन किया है।
किसानों से अपील
जिला कृषि अधिकारी ने किसानों से आग्रह किया कि वे प्रतिबंधित कीटनाशकों का प्रयोग न करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश की गौरवशाली बासमती चावल की प्रतिष्ठा बचाने और गुणवत्तायुक्त निर्यात सुनिश्चित करने के लिए यह कदम अत्यंत आवश्यक है।
विकल्प के रूप में आईडीएम तकनीक
विशेषज्ञ संस्थानों ने किसानों को सलाह दी है कि वे रोग और कीट नियंत्रण के लिए एकीकृत रोग प्रबंधन (आईडीएम) तकनीक अपनाएँ। इससे न केवल रसायन अवशेषों की समस्या से बचा जा सकेगा बल्कि निर्यात में भी किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी।
किसानों के लिए सूचना
अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि आने वाले 60 दिनों तक जिले में उपरोक्त सभी 11 कीटनाशकों का प्रयोग, बिक्री और वितरण पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। इसका उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।