हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ रविवार 25 मई 2025
ग्रामीण पर्यटन, पर्यटन का एक ऐसा रूप है जो पर्यटकों को ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन, संस्कृति और पर्यावरण का अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है। यह शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर, प्रकृति के करीब और स्थानीय समुदायों से जुड़ने का एक शानदार तरीका है।
ग्रामीण पर्यटन की विशेषताएं:
- प्रकृति केंद्रित: ग्रामीण पर्यटन अक्सर प्राकृतिक सुंदरता, जैसे पहाड़, नदियाँ, झीलें, जंगल और कृषि भूमि पर केंद्रित होता है।
- सांस्कृतिक अनुभव: पर्यटक स्थानीय रीति-रिवाजों, परंपराओं, कला, शिल्प और भोजन का अनुभव करते हैं।
- स्थानीय समुदाय की भागीदारी: ग्रामीण पर्यटन में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण होती है, जिससे उन्हें आर्थिक और सामाजिक लाभ होता है।
- छोटे पैमाने पर: यह अक्सर छोटे पैमाने पर होता है, जिसमें गेस्ट हाउस, होमस्टे और स्थानीय परिवहन का उपयोग किया जाता है।
- सततता: ग्रामीण पर्यटन का लक्ष्य पर्यावरण और संस्कृति को संरक्षित करते हुए पर्यटन को बढ़ावा देना है।
ग्रामीण पर्यटन के प्रकार: - कृषि पर्यटन (Agritourism): पर्यटकों को खेतों में काम करने, फसलें उगाने और पशुओं की देखभाल करने का अनुभव मिलता है।
- पारिस्थितिकी पर्यटन (Ecotourism): यह प्राकृतिक क्षेत्रों की यात्रा पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय लोगों के कल्याण में योगदान करना है।
- सांस्कृतिक पर्यटन (Cultural Tourism): पर्यटक स्थानीय त्योहारों, मेलों, कला और शिल्प में भाग लेते हैं और स्थानीय इतिहास और विरासत के बारे में जानते हैं।
- एडवेंचर पर्यटन (Adventure Tourism): ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रेकिंग, हाइकिंग, राफ्टिंग, और रॉक क्लाइम्बिंग जैसी साहसिक गतिविधियों में भाग लेना।
- स्वास्थ्य और कल्याण पर्यटन (Wellness Tourism): योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा जैसे अनुभवों के माध्यम से आराम और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करना।
ग्रामीण पर्यटन के लाभ: - स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय के नए अवसर पैदा करता है, जिससे गरीबी कम होती है।
- सांस्कृतिक संरक्षण: यह स्थानीय कला, शिल्प और परंपराओं को जीवित रखने और बढ़ावा देने में मदद करता है।
- पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता: यह पर्यटकों और स्थानीय समुदायों दोनों को पर्यावरण के महत्व के बारे में शिक्षित करता है।
- शहरी-ग्रामीण संपर्क: यह शहरों और गांवों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है और ग्रामीण जीवन के बारे में जागरूकता बढ़ाता है।
- महिलाओं का सशक्तिकरण: पर्यटन में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने में मदद करती है।
ग्रामीण पर्यटन की चुनौतियां: - आधारभूत संरचना की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी सड़कें, परिवहन, आवास और स्वच्छता सुविधाओं की कमी हो सकती है।
- विपणन और प्रचार की कमी: कई ग्रामीण पर्यटन स्थलों के बारे में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं होती है।
- स्थानीय समुदायों की क्षमता निर्माण: पर्यटन को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण और कौशल विकास की आवश्यकता होती है।
- पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव: यदि पर्यटन को ठीक से प्रबंधित नहीं किया जाता है, तो यह पर्यावरण प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों की कमी का कारण बन सकता है।
- सांस्कृतिक मूल्यों का क्षरण: पर्यटकों के प्रभाव से स्थानीय संस्कृति और परंपराओं में बदलाव आ सकता है।
भारत में ग्रामीण पर्यटन की संभावनाएं:
भारत में ग्रामीण पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, क्योंकि यहां विभिन्न प्रकार की संस्कृतियां, प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक विरासत मौजूद है। सरकार भी ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है, जैसे कि “स्वदेश दर्शन योजना” के तहत ग्रामीण सर्किट का विकास और ग्रामीण होमस्टे को बढ़ावा देना।
ग्रामीण पर्यटन के उदाहरण: - केरल में ग्रामीण पर्यटन परियोजनाएं: कुमारकोम और वायनाड जैसे स्थानों पर सामुदायिक आधारित पर्यटन पहलें सफल रही हैं।
- राजस्थान में विरासत गांव: समोद और मंडावा जैसे गांवों में ऐतिहासिक हवेलियों को हेरिटेज होटल में बदलकर ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- सिक्किम में होमस्टे: कई ग्रामीण समुदाय होमस्टे चलाकर पर्यटकों को स्थानीय जीवन का अनुभव करा रहे हैं।
- ओडिशा का रघुराजपुर: यह गांव अपने पारंपरिक शिल्प और कला के लिए जाना जाता है और इसे ग्रामीण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है।
ग्रामीण पर्यटन न केवल पर्यटकों के लिए एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है, बल्कि यह ग्रामीण समुदायों के सतत विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यदि इसे सही ढंग से योजनाबद्ध और प्रबंधित किया जाए, तो यह आर्थिक विकास, सांस्कृतिक संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
बुटा सिंह
सहायक आचार्य,
ग्रामीण विकास विभाग,
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली