हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:15 जुलाई 2025
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से उजागर हुई गंभीर चूक, करोड़ों का नुकसान
भोपाल।
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसने सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कोरोना महामारी के दौरान जब देशभर में रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए हाहाकार मचा हुआ था, उस वक्त प्रदेश में 1.33 लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन बिना उपयोग के गोदाम में पड़े रह गए। अब इन इंजेक्शनों को 17 करोड़ रुपये की कीमत के साथ नष्ट कर दिया गया है।
महामारी में त्राहि-त्राहि और गोदाम में दवा
साल 2021 में कोरोना की दूसरी लहर के समय देशभर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी कमी थी। अस्पतालों में मरीजों की लंबी कतारें थीं और एक इंजेक्शन पाने के लिए लोग दर-दर भटक रहे थे। उस समय कई जगहों पर कालाबाजारी और जमाखोरी की भी खबरें आई थीं। ऐसे में मध्य प्रदेश में इतने बड़े स्टॉक का उपयोग न होना, सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है।
गोदाम में किराए पर रखे इंजेक्शन, सालाना खर्च 6 लाख
इन इंजेक्शनों को जिस गोदाम में रखा गया था, उसका किराया 6 लाख रुपये प्रति वर्ष था। यानी दो साल से भी अधिक समय तक सरकार ने इन इंजेक्शनों को न इस्तेमाल किया, न ही दूसरे राज्यों या अस्पतालों को भेजा। उल्टा, लाखों रुपये गोदाम किराए में भी खर्च कर दिए गए।
जानकारों की राय: “सैकड़ों जानें बच सकती थीं”
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह इंजेक्शन समय रहते मरीजों को दिए जाते, तो सैकड़ों जानें बचाई जा सकती थीं। यह न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि एक मानवीय त्रासदी भी है। इससे यह भी सवाल उठता है कि क्या विभागीय अधिकारियों ने समय पर स्टॉक की निगरानी की? या फिर यह जानबूझकर की गई लापरवाही थी?
विपक्ष ने उठाए सवाल
इस खुलासे के बाद विपक्ष ने राज्य सरकार को घेरा है। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा कि यह मामला केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि आपराधिक लापरवाही का उदाहरण है, जिसकी जांच होनी चाहिए और जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।