हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:18 जुलाई 2025
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए प्रमोशन के बाद डिमोशन और दोबारा विभागीय जांच को अवैध करार दिया है। कोर्ट का यह फैसला पुलिस विभाग की दो अलग-अलग कार्रवाइयों पर आया है, जिसमें नियमों और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन पाया गया।
पहले मामले में एक पुलिस कर्मचारी को पहले प्रमोशन दिया गया था, लेकिन बाद में विभाग ने उसे पदावनत (डिमोट) कर दिया। इस कार्रवाई को चुनौती मिलने पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी कर्मचारी को एक बार प्रमोट करने के बाद, बिना किसी वैधानिक आधार के डिमोट करना असंवैधानिक है। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार की कार्रवाई न केवल सेवा नियमों के खिलाफ है, बल्कि यह कर्मचारी के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करती है।
दूसरे मामले में एक पुलिसकर्मी के खिलाफ विभागीय जांच कर पहले ही सजा दी जा चुकी थी, लेकिन विभाग ने उसी मामले में दोबारा जांच शुरू कर दी। कोर्ट ने इसे “डबल जेopardy” यानी एक ही अपराध के लिए दो बार सजा देने की मंशा बताया और इसे नियमों के खिलाफ ठहराया। हाईकोर्ट ने कहा कि एक बार सजा मिलने के बाद, दोबारा जांच न केवल न्यायिक सिद्धांतों का उल्लंघन है, बल्कि यह कर्मचारी को अनावश्यक मानसिक उत्पीड़न भी देता है।
कोर्ट ने दोनों मामलों में स्पष्ट रूप से कहा कि प्रशासनिक कार्रवाइयों में न्याय और सेवा नियमों का पालन अनिवार्य है। यह फैसला प्रदेशभर के सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत भरा माना जा रहा है, खासकर उन मामलों में जहां बिना उचित प्रक्रिया के दंडात्मक कार्रवाई की जाती है।
हाईकोर्ट के इन निर्देशों से साफ हो गया है कि प्रमोशन के बाद बिना ठोस कारण के डिमोशन और पहले से दंडित कर्मचारियों पर दोबारा विभागीय कार्रवाई अब स्वीकार्य नहीं होगी। यह फैसला भविष्य में ऐसे मामलों में मिसाल बनेगा।