हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: 26 जुलाई 2025
रेलवे ने रचा इतिहास
भारतीय रेलवे ने चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में देश की पहली हाइड्रोजन पावर्ड ट्रेन का सफल परीक्षण कर एक नया इतिहास रच दिया है। यह ट्रेन अगस्त के अंत तक जींद-सोनीपत रूट पर चलने के लिए तैयार होगी। लगभग 90 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर परीक्षण के बाद इसका संचालन शुरू किया जाएगा।
कैसी होगी यह ट्रेन?
यह एक नॉन-एसी ट्रेन होगी, जिसमें 2 हाइड्रोजन फ्यूल पावर कार (इंजन) और 8 पैसेंजर कोच होंगे। इसकी अधिकतम रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। ICF द्वारा इस ट्रेन के लिए 1200 हॉर्सपावर का हाइड्रोजन इंजन विकसित किया गया है। ट्रेन को विशेष रूप से छोटी दूरी के सफर के लिए डिजाइन किया गया है।
कैसे काम करती है यह ट्रेन?
इस ट्रेन में हाइड्रोजन गैस के टैंक होंगे, जो बाहरी हवा से ली गई ऑक्सीजन के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया कर ऊर्जा उत्पन्न करेंगे। इससे बिजली बनेगी, जो बैटरियों में स्टोर होगी। फिर ये ऊर्जा ट्रैक्शन मोटर्स तक पहुंचाई जाएगी, जिससे ट्रेन चलेगी। इस प्रक्रिया में केवल भाप और गर्मी ही बाहर निकलेगी, जिससे यह पूरी तरह प्रदूषण मुक्त मानी जाती है।
विश्व में कहां-कहां चलती हैं हाइड्रोजन ट्रेनें?
वर्तमान में जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन जैसे देश हाइड्रोजन ट्रेन का संचालन कर रहे हैं। भारत इस तकनीक को अपनाने वाला अगला प्रमुख देश बनने जा रहा है।
क्या है लागत और भविष्य की योजना?
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, सरकार की योजना ऐसी 35 हाइड्रोजन ट्रेनें शुरू करने की है। प्रत्येक ट्रेन पर 80 करोड़ रुपये और बुनियादी ढांचे पर प्रति रूट 70 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
मंत्री ने साझा किया वीडियो
अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर ट्रेन की पहली झलक साझा की और बताया कि भारत हाइड्रोजन ट्रेन तकनीक में अग्रणी देशों में शामिल होने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
भारत की यह पहली हाइड्रोजन ट्रेन पर्यावरण-संवेदनशील, आधुनिक और स्वदेशी तकनीक से लैस है, जो देश को हरित ऊर्जा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम आगे ले जाएगी।