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हाजीपीर पास: कहां है और क्यों है अहम? मोदी ने संसद में उठाया मुद्दा

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: 30 जुलाई 2025

हाजीपीर पास: रणनीतिक धुरी जिसे भारत ने 1965 में जीता, फिर लौटाया
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में उठाया 1965 में लौटाए गए हाजीपीर पास का मुद्दा


ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान उठा हाजीपीर पास का सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए हाजीपीर पास का मुद्दा उठाया। उन्होंने अपने 100 मिनट लंबे भाषण में दो टूक कहा कि सीजफायर के लिए किसी भी विदेशी नेता का फोन नहीं आया था, इस प्रकार उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे को खारिज कर दिया। इसी बहस के दौरान मोदी ने 1965 के भारत-पाक युद्ध का उल्लेख किया और सवाल उठाया कि जब भारतीय सेना ने हाजीपीर पास पर विजय प्राप्त कर ली थी, तो उसे पाकिस्तान को क्यों लौटा दिया गया?

हाजीपीर पास: कहां है और क्यों है अहम?
हाजीपीर पास जम्मू-कश्मीर के पुंछ और उरी के बीच स्थित एक रणनीतिक दर्रा है, जिसकी ऊंचाई लगभग 2,637 मीटर (8,652 फीट) है। यह क्षेत्र फिलहाल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित है। अगर यह पास भारत के नियंत्रण में होता, तो पुंछ से उरी तक की दूरी 282 किलोमीटर से घटकर सिर्फ 56 किलोमीटर रह जाती। यह न सिर्फ सैन्य दृष्टि से, बल्कि संचार और लॉजिस्टिक्स के लिहाज़ से भी बेहद अहम है।

1965 युद्ध और हाजीपीर पर भारतीय कब्ज़ा
1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान के ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ से हुई थी। इसका मकसद कश्मीर में घुसपैठ और विद्रोह को बढ़ावा देना था। मई 1965 में पाकिस्तानी सेना ने तीन अहम पहाड़ियों पर कब्ज़ा कर श्रीनगर-लेह हाईवे पर गोलाबारी शुरू कर दी। इसका जवाब भारतीय सेना ने 15 अगस्त को दिया, जब उसने नियंत्रण रेखा पार कर इन पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया।

28 अगस्त 1965 को भारतीय सेना ने बहादुरी से लड़ते हुए हाजीपीर पास पर नियंत्रण पा लिया। यह वही स्थान था, जिसका पाकिस्तान घुसपैठ और आतंकवाद फैलाने के लिए इस्तेमाल कर रहा था। भारतीय सेना की इस जीत को उस समय बड़ी रणनीतिक सफलता माना गया था।


हाजीपीर को क्यों लौटाया गया पाकिस्तान को?
भारतीय सेना द्वारा कब्जा किए गए हाजीपीर पास को ताशकंद समझौते के तहत 10 जनवरी 1966 को पाकिस्तान को लौटा दिया गया। यह समझौता भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हुआ था। समझौते का उद्देश्य युद्ध समाप्त करना और शांति बहाल करना था। हालांकि, हाजीपीर पास को लौटाने के फैसले की उस समय कड़ी आलोचना हुई थी, क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थिति थी जिसे सेना ने भारी बलिदान के बाद जीता था।


प्रधानमंत्री मोदी का सवाल: हाजीपीर लौटाने का औचित्य क्या था?
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में स्पष्ट तौर पर पूछा कि जब भारतीय जवानों ने अपने खून से हाजीपीर पास को जीता था, तो उसे पाकिस्तान को क्यों वापस कर दिया गया? उनका यह बयान न केवल ऐतिहासिक निर्णयों पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि भविष्य की रणनीति के संकेत भी देता है।


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