हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है। 9 सितंबर को होने वाले इस चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने तमिलनाडु के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है। विपक्षी इंडिया ब्लॉक की ओर से अब तक उम्मीदवार का ऐलान नहीं हुआ है। दिलचस्प पहलू यह है कि एनडीए के पास स्पष्ट बहुमत होने के बावजूद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात कर समर्थन मांगा, जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
नंबर गेम क्या कहता है?
लोकसभा में इस समय 542 और राज्यसभा में 240 सांसद हैं। कुल 782 सांसदों में से उपराष्ट्रपति पद के लिए जीत हासिल करने के लिए 392 मतों की आवश्यकता होगी। एनडीए के पास लोकसभा के 293 और राज्यसभा के 134 सांसदों सहित कुल 427 सांसदों का समर्थन है, जो बहुमत के लिए पर्याप्त है। विपक्ष के पास करीब 355 सांसदों का समर्थन है। वहीं, लगभग 133 सांसदों को अभी तक किसी पक्ष में नहीं माना गया है। ऐसे में एनडीए की जीत लगभग तय मानी जा रही है।
निर्विरोध चुनाव की कोशिश?
देश में अब तक 16 उपराष्ट्रपति चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से केवल 4 बार ही निर्विरोध चुनाव हुआ है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1952 और 1962 में निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुने गए थे। इसके अलावा 1979 में पूर्व प्रधान न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्लाह भी निर्विरोध उपराष्ट्रपति बने थे। इस बार एनडीए की रणनीति को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी 5वीं बार निर्विरोध चुनाव कराने की कोशिश में है।
एनडीए के पास स्पष्ट बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस से समर्थन मांगना केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है। भाजपा शायद यह चाहती है कि विपक्ष मुकाबले में न आए और उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्विरोध हो। अब नजर विपक्ष पर है कि वह मैदान में उम्मीदवार उतारता है या बीजेपी की इस रणनीति को सफल होने देता है।