डॉ रोहित सिंह
नई दिल्ली। आज पूरे देश में हिंदी दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। भारत की स्वतंत्रता के उपरांत 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत होकर यह ऐतिहासिक निर्णय लिया था कि हिंदी को भारत की राजभाषा बनाया जाएगा। इसी महत्वपूर्ण निर्णय की स्मृति और हिंदी के महत्व को रेखांकित करने के लिए प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
1953 से यह परंपरा आरंभ हुई और तभी से सम्पूर्ण भारतवर्ष में इस दिन को भाषा के गौरवोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदी के प्रचार-प्रसार और जनमानस से जुड़ाव को देखते हुए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति और विभिन्न संगठनों द्वारा विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
गौरतलब है कि आज न केवल भारत में, बल्कि फिजी, मॉरीशस, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद, टोबैगो, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में भी हिंदी बोली और पढ़ाई जा रही है। यह हिंदी की वैश्विक स्वीकार्यता और सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक है।
कहा भी गया है कि —
“बाकी भाषाओं को मैंने महज किताबों में रखा, जबकि हिंदी को सब जगह अपने भावों में रखा।”
हिंदी दिवस हमें अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान के संरक्षण व संवर्धन की याद दिलाता है।













