नई दिल्ली, 20 सितम्बर 2025।
देश के समक्ष लंबे समय से चुनौती बने नक्सलवाद के उन्मूलन और विकसित भारत के निर्माण की दिशा में हो रहे प्रयासों पर केंद्रित सेमिनार ‘विकसित भारत—नक्सलवाद से मुक्ति’ का आयोजन शीघ्र ही विज्ञान भवन, नई दिल्ली में होने जा रहा है। इसी से संबंधित तैयारी बैठक आज भाजपा के केंद्रीय कार्यालय, 9 अशोक रोड पर सम्पन्न हुई।
इस बैठक में भाजपा और बौद्धिक मंचों के कई प्रमुख पदाधिकारी, चिंतक एवं कार्यकर्ता शामिल हुए। बैठक की अध्यक्षता श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक डॉ. बिनय ने की, जबकि संचालन व संयोजक डॉ. यशपाली चौहान रहीं। बैठक में भाजपा के सर्व प्रकोष्ठ प्रभारी श्री अशोक ठाकुर, वरिष्ठ चिंतक श्री भीमसेन समेत कई विशिष्ट व्यक्तित्व उपस्थित रहे।
बैठक का उद्देश्य
बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी सेमिनार की रूपरेखा को अंतिम रूप देना, विषय-वस्तु के विभिन्न आयामों पर विमर्श करना और कार्ययोजना पर चर्चा करना था। ज्ञात हो कि विज्ञान भवन में आयोजित होने वाले इस राष्ट्रीय महत्व के सेमिनार के मुख्य वक्ता देश के केंद्रीय गृह मंत्री माननीय अमित शाह जी होंगे।

वक्ताओं के विचार
बैठक में विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए नक्सलवाद के समाधान, सामाजिक सहभागिता की अनिवार्यता और राष्ट्रीय नीति की भूमिका पर जोर दिया।
- डॉ. यशपाली चौहान ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा:
“आज देश के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता देश-विरोधी गतिविधियों की शिनाख्त करना है। यदि हम इन ताक़तों की पहचान कर उनसे लड़ेंगे, तभी भारत को एक सशक्त और विकसित राष्ट्र के रूप में आगे ले जाया जा सकता है।” - डॉ. बिनय ने नक्सलवाद की वैचारिक जड़ों पर तीखा प्रहार करते हुए कहा:
“मार्क्सवादी विचारधारा वास्तव में देश और मानवता विरोधी है। इन तथाकथित कम्युनिस्टों के पास केवल हिंसा और मारकाट की विचारधारा है। इनके पास एक भी ऐसा विचारक नहीं है, जो बिना रक्तपात के अपने विचार प्रस्तुत कर सके। यही नक्सलवाद की सबसे बड़ी त्रासदी है।” - श्री अशोक ठाकुर ने राजनीतिक अनुभव साझा करते हुए कहा:
“दिल्ली के हालिया चुनावों में हमें यह अनुभव हुआ है कि छोटे-छोटे टोली समूहों के माध्यम से राष्ट्रहित की बात लोगों तक पहुँचाना अत्यंत कारगर है। यही रणनीति हमें व्यापक समर्थन दिलाने में सहायक बनी है।” - श्री भीमसेन ने अपने वक्तव्य में कहा:
“सच्ची बौद्धिक और वास्तविक आज़ादी हमें 2014 के बाद से प्राप्त होनी शुरू हुई है। यही आज़ादी हमें वैचारिक और राजनीतिक स्तर पर मज़बूत कर रही है।”
इसके अतिरिक्त श्री निकेंद्र कुमार एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों ने भी अपने विचार रखते हुए नक्सलवाद को केवल एक सुरक्षा चुनौती नहीं, बल्कि सामाजिक, वैचारिक और सांस्कृतिक चुनौती बताया।

निष्कर्ष और आगामी कार्यक्रम
बैठक के अंत में यह सहमति बनी कि सेमिनार के माध्यम से नक्सलवाद जैसी राष्ट्रीय समस्या पर गहन विमर्श होगा और समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। आगामी सत्रों की रूपरेखा, आमंत्रित वक्ताओं की सूची और विषयगत खंडों पर भी चर्चा हुई।
यह तैयारी बैठक इस तथ्य का प्रतीक रही कि भारत सरकार और सामाजिक संगठन नक्सलवाद से न केवल सुरक्षा स्तर पर, बल्कि वैचारिक और सामाजिक स्तर पर भी लड़ाई को मज़बूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।













