35 वर्षों से दिल्ली में मंत्री संख्या स्थिर, जनहित याचिका में अनुच्छेद 239AA में संशोधन की मांग
हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 9 अप्रैल: 2025,
दिल्ली में बीते 35 वर्षों में जनसंख्या में चार गुना इजाफा हुआ है, लेकिन दिल्ली सरकार के मंत्रियों की संख्या अब भी सिर्फ 7 पर ही अटकी हुई है। इस विषय को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 239AA में संशोधन की मांग की गई है ताकि मंत्रियों की संख्या बढ़ाई जा सके।
क्या है अनुच्छेद 239AA और विवाद की जड़
अनुच्छेद 239AA के अनुसार, दिल्ली सरकार में मंत्रिपरिषद की संख्या विधानसभा की कुल सीटों का 10% से अधिक नहीं हो सकती। वर्तमान में दिल्ली विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं, इस लिहाज से सिर्फ़ 7 मंत्री बनाए जा सकते हैं। जबकि दिल्ली सरकार के पास करीब 38 मंत्रालय हैं, जिनका संचालन केवल 7 मंत्री कर रहे हैं।
कोर्ट ने उठाए अधिकार क्षेत्र पर सवाल
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि क्या अदालत के पास इस मुद्दे में हस्तक्षेप करने का अधिकार है? उन्होंने यह भी पूछा कि याचिकाकर्ता कौन सा कानून दिखा सकते हैं, जो अदालत को इस मामले में कार्यवाही करने का अधिकार देता है।
‘आप भेदभाव की वकालत कर रहे हैं, संघवाद की नहीं’
चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि यदि दिल्ली की विशेष संवैधानिक स्थिति (sui generis) को स्वीकार कर लिया गया है, तो उसकी तुलना अन्य राज्यों से कैसे की जा सकती है? ऐसे में अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) को लागू करना संभव नहीं होगा। उन्होंने आगे कहा कि आप मूल रूप से संघवाद की वकालत नहीं बल्कि भेदभाव की दलील दे रहे हैं।
वकील की दलील – ‘दिल्ली को मजबूत शासन व्यवस्था चाहिए’
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि दिल्ली की बढ़ती जनसंख्या और मंत्रालयों की संख्या को देखते हुए मंत्रियों की संख्या बढ़ाना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी पहले कह चुका है कि दिल्ली को एक मजबूत शासन व्यवस्था की आवश्यकता है। इसलिए 10% की सीमा को हटाया जाए क्योंकि यह मनमानी और अनुचित है।
कोर्ट की टिप्पणी – ‘हर संवैधानिक प्रावधान स्वभाव से संवैधानिक नहीं होता’
कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल इसलिए कि संविधान कोई प्रावधान करता है, इसका मतलब यह नहीं कि वह स्वतः ही संवैधानिक है। किसी भी प्रावधान को बहुत सीमित आधारों पर चुनौती दी जा सकती है।
दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया और अगली सुनवाई
दिल्ली सरकार की ओर से स्थायी वकील समीर वशिष्ठ अदालत में पेश हुए और उन्होंने कहा कि इस याचिका पर विचार किया जाएगा। अदालत ने इस मामले पर विचार की ज़रूरत जताई है, लेकिन अभी नोटिस जारी नहीं किया गया है। अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।