हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 17 अप्रैल: 2025,
फायर सेफ्टी क्षेत्र में उत्तर प्रदेश बना देश का पहला राज्य, निजी भवनों में अनिवार्य होगी अग्नि सुरक्षा कर्मियों की तैनाती
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब प्रदेश में दो लाख से अधिक युवाओं को फायर सेफ्टी ऑफिसर और अग्नि सुरक्षा कर्मी के रूप में प्रशिक्षित कर निजी भवनों में रोजगार का अवसर प्रदान किया जाएगा।
यह योजना उत्तर प्रदेश को देश का पहला ऐसा राज्य बना देगी, जहां अग्निशमन विभाग के माध्यम से युवाओं को विशेष प्रशिक्षण देकर उन्हें निजी क्षेत्र में रोजगार दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष पहल
फायर विभाग की एडीजी पद्मजा चौहान ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी के निर्देशन में इस योजना की कार्ययोजना तैयार की गई है। इसके तहत अब मॉल, हॉस्पिटल, मल्टीप्लेक्स, ऊँची इमारतों और औद्योगिक परिसरों में फायर सेफ्टी ऑफिसर और अग्नि सुरक्षा कर्मियों की नियुक्ति अनिवार्य कर दी गई है, ठीक उसी प्रकार जैसे सिक्योरिटी गार्ड्स की तैनाती होती है।
प्रशिक्षण के लिए निर्धारित समय और योग्यता
- इच्छुक युवाओं को 1 से 4 हफ्तों तक का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें विभाग की ओर से प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
- यह प्रमाण पत्र उन्हें निजी कंपनियों और संस्थानों में नौकरी दिलाने में मदद करेगा।
नियुक्ति के मानक
- फायर सेफ्टी ऑफिसर बनने के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष और निर्धारित शैक्षिक योग्यता आवश्यक होगी।
- अग्नि सुरक्षा कर्मी बनने के लिए उम्मीदवार को कम से कम 10वीं पास होना चाहिए।
- इसके साथ ही या तो उसे 4 सप्ताह का प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा या 2 वर्षों तक फायर वॉलंटियर के रूप में पंजीकृत होना अनिवार्य होगा।
अधिनियम और नियमावली के तहत तैनाती अनिवार्य
उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के मॉडल फायर सर्विस बिल–2019 को अपनाते हुए उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा अधिनियम–2022 लागू कर दिया है। इसके अंतर्गत अब राज्य के निजी भवनों में प्रशिक्षित अग्नि सुरक्षा कर्मियों की तैनाती अनिवार्य कर दी गई है।
साथ ही, अग्निशमन नियमावली–2024 को लागू कर उत्तर प्रदेश देश के अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श मॉडल बन गया है।
ट्रेनिंग सेंटर की क्षमता में वृद्धि और विस्तार
- उन्नाव स्थित ट्रेनिंग सेंटर की क्षमता को 196 से बढ़ाकर 600 किया जा रहा है।
- इसके अतिरिक्त, प्रदेशभर में रीजनल ट्रेनिंग सेंटरों की स्थापना की जा रही है ताकि आम नागरिकों, कंपनियों और संस्थानों के कर्मचारियों को भी उच्च स्तरीय अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण दिया जा सके।