हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 20 अप्रैल: 2025,
भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को लेकर जो बयान दिया है, वह तेजी से विवादों में घिरता जा रहा है। दुबे ने अपने बयान में देश में हो रहे “गृह युद्धों” के लिए सीधे तौर पर चीफ जस्टिस को जिम्मेदार ठहराया, साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर सवाल खड़े किए।
उनके इस बयान पर न सिर्फ विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, बल्कि बीजेपी के अंदर से भी विरोध की आवाजें उठने लगी हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि यह बयान भावनाओं में बह कर दिया गया होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी फैसले के लिए केवल एक जज जिम्मेदार नहीं होते, बल्कि पूरा सुप्रीम कोर्ट निर्णय लेता है।
मनन मिश्रा ने पश्चिम बंगाल की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट की चुप्पी पर चिंता जाहिर की और कहा, “पूरा पश्चिम बंगाल जल रहा है और सुप्रीम कोर्ट की आंखें बंद हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि सुप्रीम कोर्ट को ऐसे बड़े मुद्दों पर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए, जैसा कि मणिपुर के मामले में किया गया था।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए 3 महीने की समयसीमा तय किए जाने पर भी सवाल उठाया और कहा, “संविधान निर्माताओं ने जब यह तय नहीं किया, तो कुछ सोच कर ही नहीं किया होगा।”
निशिकांत दुबे ने अपने बयान में सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा 377, आईटी एक्ट की धारा 66ए, और धार्मिक मामलों में लिए गए निर्णयों पर भी असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट संविधान की व्याख्या तक सीमित रहे और उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर न जाए।
दुबे के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है और अब देखना यह होगा कि पार्टी इस पर क्या आधिकारिक रुख अपनाती है।