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बरसाना में हनुमान मंदिर के पुजारी की धारदार हथियार से हत्या, इलाके में फैली सनसनी

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 13 मई : 2025,

मथुरा/बरसाना — उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के बरसाना थाना क्षेत्र अंतर्गत करहला गांव में सोमवार रात एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां स्थित हनुमान मंदिर के पुजारी रामदास उर्फ बिहारी (60 वर्ष) की धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दी गई। उनका शव मंगलवार सुबह मंदिर के पास खेत में पड़ा मिला, जिसके बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई।

25 वर्षों से निभा रहे थे पूजा की सेवा

जानकारी के अनुसार, रामदास उर्फ बिहारी मूल रूप से बिहार के छपरा जिले के निवासी थे। वे पिछले करीब 25 वर्षों से करहला गांव में स्थित हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना कर रहे थे। मंदिर, राधारमण दास उर्फ राजू कटारा नामक व्यक्ति के खेत में स्थित है, जहां एक छोटा आश्रम भी बना हुआ है। रामदास इसी आश्रम में निवास करते थे और मंदिर की पूजा की जिम्मेदारी उन्हीं के पास थी।

सेवानिवृत्त फौजी से हुआ था विवाद

बताया जा रहा है कि पुजारी रामदास का हाल ही में एक सेवानिवृत्त फौजी प्रताप सिंह से विवाद हुआ था। यह विवाद आश्रम में निवास को लेकर था। सूत्रों के अनुसार, पुजारी ने इस विवाद को लेकर थाने में लिखित तहरीर भी दी थी। प्रताप सिंह, अलीगढ़ जिले के जट्टारी क्षेत्र का निवासी बताया जा रहा है और पिछले वर्ष लगभग 15 दिन तक आश्रम में रुका था।

मंगलवार सुबह खेत में मिला शव

मंगलवार सुबह ग्रामीणों को मंदिर से कुछ दूरी पर खेत में रामदास का शव पड़ा मिला। शव को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि उनकी हत्या धारदार हथियार से सिर पर हमला कर की गई है। इसके अलावा हमलावरों ने उनके गुप्तांग पर भी हमला किया, जिससे घटना की क्रूरता स्पष्ट होती है।

पुलिस जांच में जुटी, फॉरेंसिक टीम मौके पर

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। फॉरेंसिक टीम ने भी मौके से साक्ष्य एकत्र किए हैं। पुलिस ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और जल्द ही हत्या के पीछे के कारणों और दोषियों का पता लगा लिया जाएगा।

गुरु राधारमण दास का बड़ा आरोप

पुजारी रामदास के गुरु राधारमण दास ने इस हत्या के पीछे सेवानिवृत्त फौजी प्रताप सिंह की भूमिका पर संदेह जताया है। उन्होंने बताया कि प्रताप सिंह से उनकी मुलाकात लगभग पांच साल पहले दिल्ली में हुई थी, और वह अक्सर त्योहारों पर आश्रम आया करता था। राधारमण दास का आरोप है कि फौजी आश्रम पर कब्जा करना चाहता था और पुजारी रामदास उसके रास्ते की रुकावट बन गए थे।

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