अलीगढ़: उत्तर प्रदेश सरकार ने तेजी से बढ़ते हृदय रोगों को देखते हुए अलीगढ़ स्थित एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (जेएनएमसी) के कार्डियोलॉजी विभाग को सैटेलाइट सेंटर घोषित किया है। इस पहल का उद्देश्य गांव-देहात के मरीजों को हार्ट अटैक आने पर तत्काल और विशेषज्ञ उपचार उपलब्ध कराना है।
🔹 90 मिनट में मिलेगा इलाज
नई व्यवस्था के तहत हार्ट अटैक से पीड़ित मरीजों को 90 मिनट के भीतर जेएनएमसी में प्राथमिक एंजियोप्लास्टी के लिए रेफर किया जा सकेगा। इसके साथ ही मरीजों को उनके अस्पताल या एम्बुलेंस में यात्रा के दौरान ही थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी (खून के थक्के घोलने वाली दवा) भी दी जा सकेगी। यह कदम गंभीर हृदयाघात (एसटी-एलेवेशन मायोकार्डियल इंफार्क्शन) के मामलों में जीवन बचाने में मदद करेगा।
🔹 आठ जिलों को जोड़ा गया
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नीरज त्यागी ने बताया कि योजना में अलीगढ़, बदायूं, बरेली, गौतमबुद्धनगर, हाथरस, संभल, कासगंज और बुलंदशहर जिले शामिल हैं। पहले चरण में अलीगढ़ और बदायूं के चिकित्सकों को दो दिवसीय प्रशिक्षण जेएनएमसी ऑडिटोरियम में दिया जाएगा।
🔹 प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग
कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. आसिफ हसन ने बताया कि कार्यक्रम में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को लक्षण पहचानने, ईसीजी करने, स्टेमी पैटर्न पहचानने और थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी देने की ट्रेनिंग दी जाएगी। उद्देश्य है कि मरीज को समय पर सही उपचार मिल सके और मौत की दर कम हो।
🔹 ई-संजीवनी बना ग्रामीणों का सहारा
डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत संचालित ई-संजीवनी टेलीकंसल्टेशन प्लेटफॉर्म भी ग्रामीण इलाकों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यहां डॉक्टर मोबाइल और वीडियो कॉल के जरिये परामर्श दे रहे हैं।
- डॉ. अंकुर चौहान ने सितंबर में सर्वाधिक 2811 ओपीडी कर शीर्ष स्थान प्राप्त किया।
- डॉ. एमडी महबूब आलम ने 2502, डॉ. नेहा भारती ने 2704, डॉ. शेखर शर्मा ने 2716 और डॉ. वैशाली सिंह ने 2348 मरीजों को परामर्श दिया।
इन डॉक्टरों ने डिजिटल माध्यम से हजारों मरीजों तक उपचार पहुंचाकर स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊंचाई दी है।
🔹 हाथरस में तीन की मौत, जागरूकता की जरूरत
हाथरस में बीते दिन हार्ट अटैक से तीन लोगों की मौत हुई — 50 वर्षीय पप्पू, 45 वर्षीय लाखन सिंह और 42 वर्षीय राजकिशोर की। यह घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि समय पर निदान और इलाज की उपलब्धता कितनी जरूरी है।
जेएनएमसी को सैटेलाइट सेंटर बनाए जाने और ई-संजीवनी जैसी डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं के प्रसार से हृदय रोगों के उपचार में नई दिशा मिल रही है। अब गांव-देहात के मरीजों को विशेषज्ञ डॉक्टरों तक पहुंचने के लिए लंबी यात्रा नहीं करनी पड़ेगी — इलाज अब मोबाइल और 90 मिनट की दूरी पर है।















