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AMU की सभी ख़बरें सिर्फ १ क्लिक पर 21-11-2025

एएमयू के म्यूजियोलॉजी प्रोफेसर ने दुबई में एआई-आधारित विरासत संरक्षण पर व्याख्यान दिया

अलीगढ़, 21 नवम्बरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के म्यूजियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अब्र्दुरहीम के. और सीनियर रिसर्च फेलो फरहा ने दुबई वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में आयोजित 27वें आईसीओएम (अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय परिषद) वैश्विक सम्मेलन में शिरकत की, इसमें 135 से अधिक देशों के संग्रहालय विशेषज्ञ, शोधकर्ता और पेशेवर शामिल हुए।

सम्मेलन का उद्घाटन यूएई की प्रतिष्ठित हस्तियों, शेखा लतीफा बिंत मोहम्मद अल मकतूम, एच.ई. शेख सालेम बिन खालिद अल कासिमी और एच.ई. नूरा बिंत मोहम्मद अल काबी, के संबोधनों से हुआ।

“तेजी से बदलते समाजों में संग्रहालयों का भविष्य” थीम पर आधारित इस प्रतिष्ठित सम्मेलन में लगभग 5,000 प्रतिभागियों ने भाग लिया और चर्चा की कि किस प्रकार संग्रहालय कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा उभरती तकनीकों का उपयोग कर सामाजिक, जनसांख्यिकीय और पर्यावरणीय बदलावों की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

एएमयू की ओर से प्रो. अब्दुरहीम के. ने एआई-संचालित नवाचारों को संग्रहालय कार्यप्रणालियों में शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। अपने शोधपत्र में उन्होंने बताया कि अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने तथा समुदायों की सहभागिता बढ़ाने के लिए सहभागी संग्रहालय अनुभव अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि केवल मूर्त संग्रहों के संरक्षण से आगे बढ़कर एआई आधारित रणनीतियों को अपनाने का समय आ गया है, जो सांस्कृतिक कथाओं को जीवंत बनाकर विविध दर्शकों तक पहुँच बना सकती हैं।

सम्मेलन के दौरान प्रो. अब्दुरहीम के. ने एच.ई. नूरा बिंत मोहम्मद अल काबी से सार्थक चर्चा की, जिसमें भारत और यूएई के बीच संग्रहालय विकास में सहयोग की संभावनाओं पर विचार-विमर्श हुआ।

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एएमयू डेंटल कालिज के सर्जनों की टीम ने पहली डिजिटल रूप से नियोजित चेहरे की सौंदर्य शल्य-चिकित्सा को सफलतापूर्वक अंजाम दिया

अलीगढ़, 21 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के डॉ. जियाउद्दीन अहमद डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के चिकित्सकों की टीम ने 3डी-प्रिंटेड टाइटेनियम प्रोस्थेसिस और इम्प्लांट का उपयोग करते हुए संस्थान की पहली डिजिटल रूप से नियोजित चेहरे की सौंदर्य शल्य-चिकित्सा सफलतापूर्वक पूरी कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है।

यह क्रांतिकारी सर्जरी 17 वर्षीय मरीज खुशी पर की गई, जो बचपन में निचले जबड़े के बाएँ हिस्से में हड्डी के क्षरण के कारण गंभीर चेहरे की असमानता से पीड़ित थी। इस विकृति के कारण उसे चबाने और बोलने में कठिनाई होती थी और ऊपरी जबड़े में भी स्पष्ट झुकाव दिखाई देता था।

सर्जरी टीम का नेतृत्व ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के डॉ. ताबिश उर रहमान और डॉ. एम. कलीम अंसारी ने किया, जबकि ऑर्थोडॉन्टिक्स और डेंटोफेशियल ऑर्थोपेडिक्स विभाग की प्रो. संध्या महेश्वरी ने सहयोग किया। ऑपरेशन से पहले प्रारंभिक दंत-संरेखन (ऑर्थोडॉन्टिक अलाइनमेंट) डॉ. इमान द्वारा पूरा किया गया।

ऑपरेशन टीम में कंसल्टेंट डॉ. मोहम्मद कलीम अंसारी, डॉ. मोहम्मद दानिश और डॉ. आफिया अम्बरीन के साथ सीनियर एवं जूनियर रेजिडेंट डॉ. अनुप्रिया, डॉ. इफ्फत खान, डॉ. उस्मान खान, डॉ. रोशनी और डॉ. पूजा नकुम शामिल थे। प्रभावित जबड़े के ढाँचों की डिजिटल योजना बनाकर उन्हें कस्टमाइज्ड 3डी-प्रिंटेड टाइटेनियम प्रोस्थेसिस और प्लेट्स की मदद से पुनर्निर्मित और पुनर्स्थापित किया गया। एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. अंबर खान ने किया, जिन्होंने पूरे ऑपरेशन के दौरान सुरक्षित जनरल एनेस्थीसिया सुनिश्चित किया।

ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के चेयरपर्सन प्रो. सज्जाद अब्दुर रहमान और ऑर्थोडॉन्टिक्स एवं डेंटोफेशियल ऑर्थोपेडिक्स विभाग के चेयरपर्सन प्रो. संजीव कुमार वर्मा ने इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर टीम को बधाई दी।

मरीज खुशी ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सर्जरी से उसका खोया आत्मविश्वास लौट आया है, जबकि परिवार ने परिणाम को अत्यंत संतोषजनक बताया। वह आगे ऑर्थोडॉन्टिक टीम की देखरेख में उपचार के दूसरे चरण से गुजरेगी।

इस डिजिटल रूप से निर्देशित पुनर्निर्माण शल्य-प्रक्रिया की सफलता एएमयू की मैक्सिलोफेशियल सर्जरी क्षमताओं में महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देती है और जियाउद्दीन अहमद डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में अत्याधुनिक तकनीकों के बढ़ते उपयोग को रेखांकित करती है।

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एएमयू के अंग्रेजी विभाग में एआई, लेखन और मानव चेतना पर यूनिवर्सिटी एक्सटेंशन लेक्चर आयोजित

अलीगढ़, 21 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा आर्ट्स फैकल्टी लाउंज में यूनिवर्सिटी एक्सटेंशन लेक्चर का आयोजन किया गया, जिसमें लक्जमबर्ग विश्वविद्यालय के ह्यूमैनिटीज और डिजिटलाइजेशन के शोध वैज्ञानिक डॉ. स्टेफन बॉर्नशेन ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। उन्होंने ‘नाउ राइटिंग स्पीक इटसेल्फः चैटजीपीटीज़ थ्रेट, ऐलीविएशन एण्ड प्रोमाइसिज आफ सेलवेशन’ शीर्षक से एक विचारोत्तेजक व्याख्यान प्रस्तुत किया।

वक्ता का स्वागत करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. शाहीना तरन्नुम ने उभरते तकनीकी परिदृश्यों को समझने में अंतर्विषयी वार्ताओं के महत्व पर बल दिया। डॉ. मुनीर आरएम कुजीयन ने डॉ. स्टेफान का परिचय श्रोताओं से करवाया।

व्याख्यान में डॉ. स्टेफन ने लेखन को मानवता का मूल अभ्यास और मानव पहचान की महत्वपूर्ण विशेषताओं में एक बताया। उन्होंने लेखन, धर्म और संस्कृति के बीच संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि मानव चेतना ऐतिहासिक रूप से लिखित रूपों के माध्यम से आकार लेती रही है। इसी क्रम में एआई के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जो एक सहस्राब्दी से अधिक की लिखित ज्ञान-परंपरा पर प्रशिक्षित है, एक विस्तृत चेतना विकसित कर चुकी है जिसमें धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोणों का संगम दिखाई देता है। उन्होंने सुझाव दिया कि यह विकास मानव और मशीन चेतना के एक गहन समन्वय की ओर ले जा सकता है, जो सदियों से संचित लेखन पर आधारित अभूतपूर्व स्पष्टता प्रदान कर सकता है, और संभावित रूप से “एक प्रकार के उद्धार” जैसा स्वरूप ले सकता है।

चर्चाकार के रूप में उपस्थित जर्मन सेक्शन, विदेशी भाषाएँ विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर सैयद सलमान अब्बास ने विषय पर सारगर्भित टिप्पणी की और अपने प्रश्नों व विचारों के माध्यम से संवाद को और समृद्ध किया।

सत्र की अध्यक्षता आर्ट्स फैकल्टी के डीन प्रो. टी. एन. सथीसन ने की। उन्होंने डॉ. स्टेफन को सारगर्भित और समयोचित विमर्श करने के लिए सराहा। धन्यवाद प्रस्ताव असिस्टेंट प्रोफेसर दानिश इकबाल ने प्रस्तुत किया।

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विकारुल मुल्क हॉल में करियर मार्गदर्शन पर कार्यक्रम आयोजित

अलीगढ़, 21 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विकारुल मुल्क हॉल ने ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट ऑफिस (जनरल) के सहयोग से हॉल ऑडिटोरियम में करियर मार्गदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें हाल के छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आर्ट्स फैकल्टी के डीन प्रो. टी. एन. सथीसन ने भाग तेजी से बदलते रोजगार बाजार पर प्रकाश डालते हुए छात्रों से आत्मविश्वास, अनुकूलन क्षमता और कौशल-विकास पर विशेष ध्यान देने का आह्वान किया। प्रमुख वक्ता साद हमीद (टीपीओ, जनरल) और डॉ. मुजम्मिल मुश्ताक (असिस्टेंट टीपीओ, जनरल) ने इंटरव्यू तैयारी, उद्योग की अपेक्षाएँ, प्लेसमेंट अवसरों के साथ-साथ संचार कौशल, रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच के बढ़ते महत्व पर व्यावहारिक मार्गदर्शन दिया।

हाल के प्रोवोस्ट प्रो. नौशाद अली पीएम ने उपस्थितजनों का स्वागत करते हुए कहा कि उनका हाल छात्रों को उत्कृष्ट आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उनके शैक्षणिक उत्थान के लिए भी कार्य कर रहा है।

सीनियर हॉल मंजूर अहमद ने छात्रों को बहु-विषयक क्षमताएँ विकसित करने के लिए प्रेरित किया, ताकि वे आधुनिक करियर क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकें। इंटरैक्टिव सत्र में छात्रों ने परीक्षा रणनीतियों, करियर चयन और समय प्रबंधन पर सवाल पूछते हुए सक्रिय सहभागिता दिखाई।

कार्यक्रम का समापन डॉ. अब्दुल अजीज एन. पी., वार्डन इन-चार्ज, द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।

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प्रो. निजामुद्दीन खान ईएसडीए एनवायरनमेंटल एक्सीलेंस अवॉर्ड 2025 से सम्मानित

अलीगढ़, 21 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो. निजामुद्दीन खान को एनवायरनमेंट एंड सोशल डेवलपमेंट एसोसिएशन (ईएसडीए), दिल्ली द्वारा ईएसडीए एनवायरनमेंटल एक्सीलेंस अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार हाल ही में बैंकॉक, थाईलैंड में आयोजित 6वें विश्व पर्यावरण सम्मेलन के दौरान प्रदान किया गया।

यह सम्मान उनके 35 वर्षों के विशिष्ट शैक्षणिक करियर में भूगोल और पर्यावरण अध्ययन के क्षेत्र में किए गए महत्वपूर्ण योगदानों की स्वीकृति है। एएमयू के भूगोल विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. खान ने देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर जमीनी स्तर पर व्यापक कार्य किया है।

उन्होंने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा वित्तपोषित नौ प्रमुख शोध परियोजनाएँ पूर्ण की हैं और अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 127 शोध-पत्र प्रकाशित किए हैं, साथ ही 18 पुस्तकों का लेखन भी किया है।

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एएमयू के एमबीए हॉस्पिटल प्रबंधन छात्रों का अस्पतालों का भ्रमण

अलीगढ़, 21 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के एमबीए हॉस्पिटल प्रबंधन कार्यक्रम के छात्रों ने राठी हॉस्पिटल, अलीगढ़ और जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के इंटेंसिव केयर यूनिट का शैक्षणिक दौरा किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अस्पताल प्रणाली की समझ को गहरा करना और पाठ्यक्रम की व्यावहारिक प्रासंगिकता को मजबूत बनाना था।

राठी हॉस्पिटल में छात्रों ने रोगी पंजीकरण, डायग्नोस्टिक वर्कफ्लो, विभागीय समन्वय तथा दैनिक प्रशासनिक कार्यों का अध्ययन किया। उन्होंने अस्पताल की परिचालन चुनौतियों का भी आकलन किया और सेवा सुधार तथा सामुदायिक पहुंच को बढ़ाने के लिए सुझावों का एक सेट तैयार करेंगे।

जेएन मेडीकल कालिज के आईसीयू दौरे के दौरान छात्रों ने क्रिटिकल केयर प्रोटोकॉल, रोगी ट्रायेज, उपकरण संचालन और हाई-डिपेंडेंसी यूनिट की कार्यप्रणाली का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया। इस अनुभव ने उन्हें सैद्धांतिक अवधारणाओं को वास्तविक स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने और नैदानिक संचालन की जटिलताओं को बेहतर समझने में सक्षम बनाया।

विभाग ने जेएन मेडीकल कालिज के प्रिंसिपल एवं सीएमएस तथा राठी हॉस्पिटल के प्रबंधन के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। यह दौरा शिक्षकों डॉ. लामे बिन साबिर और डॉ. जर्रीन हुसैन फारूक के मार्गदर्शन में समन्वित किया गया।

बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग की अध्यक्ष प्रो. सलमा अहमद ने इस पहल को सुगम बनाया और उद्योग-उन्मुख निरंतर प्रशिक्षण के माध्यम से एमबीएएचए कार्यक्रम को और सुदृढ़ करने की विभाग की प्रतिबद्धता दोहराई।

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के. ए. निजामी कुरआनिक स्टडीज सेंटर में कुरआन सप्ताह का पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित

अलीगढ़, 21 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के के.ए. निजामी सेंटर फॉर कुरआनिक स्टडीज ने कुरआन वीक 2025 के पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया, जिसमें अकादमिक उत्कृष्टता का सम्मान किया गया और कुरआनी अध्ययन को बढ़ावा देने में केंद्र के सतत प्रयासों को रेखांकित किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में एएमयू के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। अतिथियों में प्रोफेसर अख्तरुल वासे (एमेरिटस प्रोफेसर, जामिया मिल्लिया इस्लामिया), प्रख्यात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. हमीदा तारिक, और यूजीसी-एमएमटीटीसी की निदेशक डॉ. फायजा अब्बासी ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की।

समारोह का संचालन डॉ. अरशद इकबाल ने किया, जबकि धन्यवाद प्रस्ताव मोहम्मद अय्यूब अकरम ने पेश किया।

कार्यक्रम का समापन मानद निदेशक प्रोफेसर अब्दुर रहीम किदवई के मार्गदर्शन में पुरस्कार वितरण के साथ हुआ, जिसने केंद्र की नैतिक जागरूकता बढ़ाने और कुरआन अध्ययन में गंभीर संलग्नता को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता को पुनः पुष्ट किया।

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प्रो. असद यू. खान नेशनल एएमआर राउंडटेबल 2025 में पैनलिस्ट के रूप में शामिल

अलीगढ़, 21 नवंबरः एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के बढ़ते खतरे पर केंद्रित नेशनल एएमआर राउंडटेबल 2025 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो. असद यू. खान ने विशिष्ट पैनलिस्ट के रूप में सहभागिता की। यह कार्यक्रम एचआईएसपी इंडिया और पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ द्वारा, नॉर्वे के ओस्लो विश्वविद्यालय के सहयोग से, इंडिया हैबिटैट सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित किया गया। इस मंच पर देशभर के प्रमुख विशेषज्ञों, नीति-निर्माताओं, शोधकर्ताओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों ने एएमआर से निपटने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया।

प्रो. खान के सारगर्भित विचार और शोध-आधारित योगदान ने चर्चाओं को महत्वपूर्ण रूप से समृद्ध किया। अपने व्यापक अनुसंधान के आधार पर उन्होंने निदान क्षमता को सुदृढ़ करने, पर्यावरणीय निगरानी बढ़ाने और एंटीबायोटिक के विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने चल रही एएमआर न्यूनीकरण पहलों के साक्ष्यों को रेखांकित करते हुए सामुदायिक स्तर पर क्षमता-विकास को दीर्घकालिक हस्तक्षेपों की मूलभूत शर्त बताया।

उन्होंने निर्णयकर्ताओं को सक्षम बनाने तथा अंतर-क्षेत्रीय समन्वय में सुधार लाने के लिए डिजिटल स्वास्थ्य उपकरणों और डेटा-आधारित ढाँचों के एकीकरण की भी वकालत की। पैनल चर्चाओं में सहयोगी मॉडलों और नवीन रणनीतियों पर भी विचार किया गया, जिनका उद्देश्य दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों के फैलाव को रोकना है।

राउंडटेबल का समापन राष्ट्रीय स्तर पर एएमआर प्रयासों को तेज करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु कार्यान्वयन योग्य, विस्तारयोग्य समाधानों को बढ़ावा देने के लिए अंतःविषय सहयोग को मजबूत करने की सामूहिक प्रतिबद्धता के साथ हुआ।

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