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प्रयागराज के स्वरूप रानी अस्पताल की दयनीय स्थिति पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जताई गहरी चिंता

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ 24 मई : 2025

प्रयागराज। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल स्वरूप रानी अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधाओं की खस्ता हालत को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि यह अस्पताल मेडिकल माफिया की पकड़ में है, जहां मरीजों का ठीक से इलाज नहीं हो रहा है और गरीब असहाय लोग दलालों के जाल में फंस रहे हैं। सरकारी अस्पताल से मरीजों को जबरदस्ती प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है, जिससे सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की सुनवाई और प्रमुख टिप्पणियां

मोतिलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. अरविंद गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने अस्पताल प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने दो अधिवक्ताओं को न्याय मित्र के रूप में नियुक्त कर अस्पताल की मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट मांगी, जिसमें अस्पताल की व्यवस्थाओं की पोल खुल गई।

  • अस्पताल में दवाओं की भारी कमी
  • आईसीयू के एयर कंडीशनर और वार्ड के पंखे खराब पड़े हुए
  • पांच में से तीन एक्स-रे मशीनें बंद
  • सीवर लाइन जाम, अस्पताल परिसर की गंदगी
  • डायग्नोस्टिक मशीनें पूरी तरह खराब
  • अस्पताल की सड़कों की हालत दयनीय

कोर्ट ने अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक को निर्देश दिए कि वे तत्काल इन समस्याओं को दूर करें। जरूरत पड़ने पर पुलिस की मदद भी ली जाए। वार्डों में लगे सभी एसी, कूलर और पंखे ठीक कराए जाएं।

प्रभारी अधीक्षक ने अस्पताल में सुविधाओं की भारी कमी स्वीकार की है। कोर्ट ने कहा कि महाकुंभ के दौरान जब लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई, तब किसी बड़ी घटना के न होने की वजह से बड़ा संकट टला। यदि उस समय कोई आपात स्थिति आती, तो अस्पताल इसे संभालने में असमर्थ होता।

कोर्ट ने मेडिकल माफिया को लेकर कहा कि वे अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों और स्टाफ के साथ मिलकर मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में भेजने का खेल खेल रहे हैं। इस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए।

कोर्ट ने जिला प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों को भी घेरा कि वे सरकारी अस्पताल को सुधारने में विफल हैं। यहां तक कि कैबिनेट मंत्री की मौजूदगी के बावजूद अस्पताल की हालत बेहद खराब है। अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की और अस्पताल निजी मेडिकल सेक्टर के प्रभाव में आ चुका है।

कोर्ट ने दिए निर्देश — सुधार के लिए कठोर कदम उठाएं

  • नगर आयुक्त को अस्पताल परिसर व सीवर लाइन की सफाई करानी होगी
  • प्रभारी अधीक्षक को प्रशासन के साथ पूरी सहयोग देना होगा
  • जल निगम को एक सप्ताह के अंदर फंड जारी करना होगा
  • लोक निर्माण विभाग को अस्पताल की सड़कों की मरम्मत करनी होगी
  • सभी डॉक्टरों की ड्यूटी सूची जिला अधिकारी को देनी होगी, जिसे सार्वजनिक रूप से अखबार में प्रकाशित कराया जाएगा
  • अस्पताल परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाकर ड्यूटी की निगरानी सुनिश्चित करनी होगी

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