हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 20 अप्रैल: 2025,
नई दिल्ली:
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सांसद निशिकांत दुबे और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा द्वारा न्यायपालिका और देश के मुख्य न्यायाधीश को लेकर दिए गए बयानों से स्पष्ट रूप से किनारा कर लिया है। दोनों नेताओं ने वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के संदर्भ में न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठाए थे, जिससे सियासी विवाद खड़ा हो गया।
पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि यह दोनों नेताओं की व्यक्तिगत राय है और भाजपा का इससे कोई संबंध नहीं है। उन्होंने लिखा,
“भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है। यह इनका व्यक्तिगत बयान है… भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है।”
जेपी नड्डा ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी ने हमेशा से ही न्यायपालिका का सम्मान किया है और उनके आदेशों व सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि न्यायालयें लोकतंत्र की रीढ़ हैं और संविधान की रक्षा का प्रमुख स्तंभ भी। पार्टी अध्यक्ष ने दोनों सांसदों सहित सभी नेताओं को ऐसे बयानों से बचने का निर्देश दिया है।

क्या था निशिकांत दुबे का विवादित बयान?
निशिकांत दुबे ने शनिवार को वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट ही कानून बनाएगा, तो संसद को बंद कर देना चाहिए। उनके इस बयान पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि भाजपा सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। वहीं, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने बयान को अपमानजनक बताते हुए कहा कि निशिकांत दुबे का यह हमला शीर्ष अदालत की गरिमा के खिलाफ है।
विवाद की पृष्ठभूमि
16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने नए संशोधित वक्फ कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी। इस वक्फ कानून को इसी महीने संसद के दोनों सदनों से पारित किया गया है।