हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
अलीगढ़। शहर के मुस्लिम समाज में शहर मुफ्ती के पद को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। स्वतंत्रता दिवस पर ऊपरकोट जामा मस्जिद के पास नेशनल हॉस्पिटल में ध्वजारोहण कार्यक्रम के दौरान एएमयू के पूर्व कोर्ट मेंबर उमैर खान ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर यह दावा किया कि मोहम्मद जैद मजाहिरी को नया शहर मुफ्ती घोषित किया गया है। इसके बाद मुस्लिम समाज में तीखा विरोध शुरू हो गया।
सोमवार को शमशाद मार्केट स्थित एक रेस्टोरेंट पर प्रेसवार्ता कर मोहम्मद जैद ने खुद को नियुक्त मुफ्ती बताते हुए कहा कि यह जिम्मेदारी उन्हें संभ्रांत लोगों ने दी है और वह इसे मौजूदा शहर मुफ्ती खालिद हमीद की सरपरस्ती में निभाएंगे। उन्होंने कहा कि हर मोहल्ले में मुफ्ती हों तो और बेहतर होगा। इस दौरान उन्होंने शपथ पत्र भी दिखाया, जिस पर 66 लोगों के हस्ताक्षर मौजूद थे।
हालांकि शहर मुफ्ती खालिद हमीद के दामाद मोहम्मद खुसरो ने इस नियुक्ति को पूरी तरह गलत ठहराया। उन्होंने कहा कि शहर मुफ्ती की नियुक्ति के लिए संभ्रांत लोग मिलकर सहमति से फैसला करते हैं, न कि अचानक घोषणा से। खालिद हमीद बिल्कुल स्वस्थ हैं और मंगलवार को शाहजमाल ईदगाह में प्रेसवार्ता कर स्वयं लोगों से रूबरू होंगे।
पीस पार्टी से पूर्व विधानसभा प्रत्याशी गुलजार अहमद ने जैद के समर्थन में कहा कि यह फैसला अचानक नहीं बल्कि एक माह से तयशुदा था। जैद मजाहिरी के पास आलिम व हाफिज की डिग्रियां हैं और वे पहले मदीना मस्जिद सराय हकीम के इमाम भी रह चुके हैं।
विरोध के बावजूद जैद ने कहा कि वे पीछे नहीं हटेंगे। उनका दावा है कि सहारनपुर और मुरादाबाद से प्राप्त डिग्रियां उनके पास मौजूद हैं। वहीं समाज के जिम्मेदार लोगों ने इसे अवैध करार देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अचानक नियुक्त मुफ्ती को मान्यता नहीं दी जा सकती।
इस पूरे मामले ने अलीगढ़ में मुस्लिम समाज को दो खेमों में बांट दिया है। मंगलवार की प्रेसवार्ता के बाद स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी।