अलीगढ़, 28 अगस्तः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के यूजीसी मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) द्वारा गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए एक सप्ताह का ऑनलाइन लघु अवधि पाठ्यक्रम आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 20 से 26 अगस्त तक चला, जिसका उद्देश्य डिजिटल जागरूकता और साइबर स्वच्छता को बढ़ावा देना था।
कार्यक्रम में असम, झारखंड, दिल्ली, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित विभिन्न राज्यों से कुल 110 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया। इनमें से 71 प्रतिभागी एएमयू से थे। उद्घाटन सत्र के दौरान एएमयू के शताब्दी वर्ष समारोह से संबंधित एक विशेष संबोधन भी प्रस्तुत किया गया।
तकनीकी सत्रों का संचालन एएमयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विशेषज्ञों ने किया। प्रमुख व्याख्यानों में “डिजिटल नागरिकः मुद्दे, चुनौतियाँ और समाधान” (डॉ. फराज मसीह), “साइबर सुरक्षा हमले और बचाव” (डॉ. फैसल अनवर), “एआई आधारित साइबर अपराध और सामाजिक प्रभाव” (प्रो. मनसफ आलम, जेएमआई), “सुरक्षित साइबर प्रथाएं” (डॉ. पी. एम. खान), “संचार सुरक्षा” (डॉ. मोहम्मद नदीम), “साइबर सुरक्षा और सामाजिक प्रभाव” (प्रो. सुहेल मुस्तजाब) तथा “साइबर जागरूकताः क्या करें और क्या न करें” (शारिक जहीर एवं डॉ. सैफुल इस्लाम) शामिल रहे।
प्रतिभागियों ने ऑनलाइन व्याख्यानों के साथ परियोजना कार्य, बहुविकल्पीय प्रश्नों और व्यावहारिक प्रदर्शनों में भी भाग लिया। पाठ्यक्रम समन्वयक प्रो. आसिम जफर (कंप्यूटर विज्ञान विभाग) ने कहा कि डिजिटल प्रणालियों पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुए सभी हितधारकों के लिए साइबर सुरक्षा प्रथाओं का ज्ञान अनिवार्य हो गया है।
समापन सत्र में कार्यक्रम निदेशक डॉ. फायजा अब्बासी ने बताया कि यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप क्षमता निर्माण और डिजिटल सशक्तिकरण के प्रति एएमयू की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
प्रतिभागियों नूर बानो (लाइब्रेरियन, मानू सेंटर लखनऊ), सजिदा नदीम (सहायक, नियंत्रक कार्यालय, एएमयू), नाविस अहमद खान (सहायक कुलसचिव, केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड) और परीन जोशी (सहायक कुलसचिव, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय) ने प्रशिक्षण को अत्यंत उपयोगी बताया और आयोजकों की सराहना की। उन्होंने आग्रह किया कि ऐसे कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाएं।
सुझावों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, प्रशासनिक कार्यक्षमता हेतु एआई उपकरण और अनुशासनात्मक मामलों में कानूनी प्रक्रियाओं पर प्रशिक्षण शामिल करने की सिफारिश की गई।