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“डिजिटल अरेस्ट” का खौफ: एयरफोर्स अधिकारी के पिता से साइबर ठगों ने 10 दिन में ऐंठ लिए 15.80 लाख रुपये

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 10 मई : 2025,

मुंबई क्राइम ब्रांच, ईडी और ट्राई अफसर बनकर करते रहे धमकियाँ, पुलिस जांच में जुटी

नोएडा।
सेक्टर-9 में रहने वाले 79 वर्षीय रिटायर्ड इंजीनियर एसके शर्मा बीते महीने एक ऐसी साइबर ठगी का शिकार हुए, जिसने उनके मानसिक और आर्थिक जीवन को झकझोर कर रख दिया। खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का अधिकारी बताने वाले साइबर अपराधियों ने उन्हें 10 दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा और इस दौरान विभिन्न बैंक खातों में कुल 15.80 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए।

पीड़ित एसके शर्मा विद्युत विभाग से सहायक अभियंता के पद से सेवानिवृत्त हैं। उनकी पत्नी का निधन हो चुका है और बेटा वायुसेना में अधिकारी है। 25 मार्च को एक अनजान व्हाट्सएप कॉल ने उनके जीवन को हिला कर रख दिया।

ऐसे शुरू हुई साजिश

25 मार्च को शर्मा को एक व्हाट्सएप कॉल आई जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। शुरुआत में ही गंभीर स्वर में कहा गया कि शर्मा ने 50 लाख रुपये का लोन लिया था, जो उन्होंने अब तक चुकाया नहीं है। बात ना मानने पर जेल भेजने, मोबाइल नंबर बंद करने और ईडी कार्रवाई की धमकी दी गई। साथ ही यह भी कहा गया कि उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया गया है, और वे घर से बाहर नहीं निकल सकते।

हर घंटे कॉल, हर दिन धमकी

ठगों ने शर्मा को पूरी तरह से मानसिक नियंत्रण में ले लिया। हर घंटे दो बार कॉल की जाती थी और धमकाया जाता था कि यदि उन्होंने किसी को कुछ बताया या घर से बाहर निकले तो सीधे जेल भेज दिए जाएंगे। इस डर में आकर शर्मा 10 दिन तक घर में कैद रहे और परिवार से भी संपर्क नहीं किया।

कैसे ऐंठे 15.80 लाख रुपये:

  • 25 मार्च: पहली कॉल के बाद 4.10 लाख रुपये जमा कराए गए।
  • 26 मार्च: 3.50 लाख और फिर 3.80 लाख रुपये अलग-अलग खातों में डाले।
  • 29 मार्च: 1 लाख रुपये ट्रांसफर कराए।
  • 3 अप्रैल: 2.10 लाख रुपये की मांग की गई और जमा कराए गए।
  • 4 अप्रैल: आखिरी बार 1.30 लाख रुपये ट्रांसफर कराए गए।

हर बार कॉल करने वाले अलग-अलग नंबरों से संपर्क करते थे और खुद को कभी पुलिस, कभी ईडी तो कभी ट्राई का अधिकारी बताते थे। वे शर्मा से बैंक जाते समय लोकेशन भी पूछते थे ताकि उन्हें ट्रैक किया जा सके।

बेटे की वापसी से खुला राज

9 अप्रैल को उनका बेटा घर लौटा तो उन्हें पिता की हालत देख शक हुआ। पूछताछ में पूरी कहानी सामने आई। इसके बाद 22 अप्रैल को थाना साइबर क्राइम में तहरीर दी गई।

पुलिस कर रही है जांच

साइबर थाना प्रभारी के अनुसार, जिन नंबरों से कॉल की गई, उनकी जानकारी जुटाई जा रही है। कॉल कहां से की गई, किन फर्जी आईडी पर सिम लिए गए – इसका पता लगाया जा रहा है। पुलिस ने संबंधित बैंक खातों को भी जांच में शामिल किया है।

पहले भी हो चुकी है डिजिटल अरेस्ट में मौत

यह पहला मामला नहीं है। 5 अक्टूबर 2024 को शहर की शिक्षिका मालती वर्मा की भी डिजिटल अरेस्ट के दौरान मौत हो चुकी है। साइबर ठगों ने उनकी बेटी को जान से मारने की धमकी दी थी, जिससे घबराकर उन्हें हार्ट अटैक आ गया।

पुलिस की चेतावनी

डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने कहा, “कोई भी व्यक्ति यदि खुद को पुलिस, ईडी या सीबीआई अधिकारी बताकर कॉल करता है, तो सतर्क हो जाएं। यह साइबर ठगी का हिस्सा हो सकता है। तुरंत कॉल काट दें और पुलिस को सूचना दें।”

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