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IMF में भारत के कार्यकारी निदेशक डॉ. कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यन तत्काल प्रभाव से बर्खास्त

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 4 मई : 2025,

IMF से अचानक बर्खास्तगी, पाकिस्तान की समीक्षा बैठक से पहले केंद्र सरकार का बड़ा फैसला

नई दिल्ली: इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) में भारत के कार्यकारी निदेशक (Executive Director) के तौर पर कार्यरत डॉ. कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यन (Krishnamurthy V Subramanian) को केंद्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया है। वह 1 नवंबर 2022 से इस पद पर तैनात थे। यह निर्णय IMF बोर्ड की पाकिस्तान को दी जा रही वित्तीय सहायता की समीक्षा बैठक से ठीक पहले लिया गया है, जो इसे और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।

कौन हैं डॉ. केवी सुब्रमण्यन?

डॉ. कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यन भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) रह चुके हैं। उन्हें 2018 में इस पद पर नियुक्त किया गया था और 2021 तक उन्होंने यह जिम्मेदारी निभाई। वह भारत के सबसे युवा CEA भी रह चुके हैं। उनके कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार और नीतिगत बदलाव हुए।

कोरोना संकट में बनाई थी नीतियाँ

COVID-19 महामारी के दौरान, जब भारतीय अर्थव्यवस्था एक बड़े संकट से गुजर रही थी, उस समय डॉ. सुब्रमण्यन ने आर्थिक स्थिरता और पुनरुद्धार के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियाँ तैयार कीं। इकोनॉमिक सर्वे 2020 और 2021 में उन्होंने आत्मनिर्भर भारत, आपूर्ति-पक्ष सुधार और निजीकरण जैसे कई अहम मुद्दों पर जोर दिया।

प्रमुख संस्थानों से जुड़ाव और विशेषज्ञता

  • डॉ. सुब्रमण्यन ने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग और आईआईएम कोलकाता से मैनेजमेंट की पढ़ाई की है।
  • उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से अर्थशास्त्र में पीएचडी की है, जहाँ वे रघुराम राजन के मार्गदर्शन में शोध कर चुके हैं।
  • वे RBI और SEBI की विशेषज्ञ समितियों के सदस्य भी रह चुके हैं।
  • इसके अलावा, वे बंधन बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में भी शामिल रह चुके हैं।

वैश्विक पहचान और शोध कार्य

डॉ. सुब्रमण्यन को बैंकिंग, कानून, वित्त, कॉर्पोरेट गवर्नेंस, नवाचार और आर्थिक विकास जैसे विषयों पर वैश्विक स्तर के विशेषज्ञों में गिना जाता है। उनके शोध पत्र कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं।

बर्खास्तगी का समय और संदर्भ

उनकी अचानक बर्खास्तगी ऐसे समय में की गई है जब IMF बोर्ड पाकिस्तान को दी जा रही फाइनेंशियल सुविधाओं पर एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक करने वाला है। यह फैसला सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि एक रणनीतिक कदम के रूप में भी देखा जा रहा है

क्या है आगे का रास्ता?

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत सरकार इस पद के लिए नया प्रतिनिधि किसे नियुक्त करती है और IMF में भारत की स्थिति को आगे कैसे संभाला जाता है।

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