हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 1 मई : 2025,
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तब तक सुधर सकते हैं, जब तक पाकिस्तान की सेना सत्ता से दूर नहीं होती और वहां जनता की चुनी हुई सरकार नहीं बनती। फारूक अब्दुल्ला ने कहा:
“जब तक आर्मी नहीं जाती और पाकिस्तान के लोग भारत से दोस्ती नहीं चाहते, तब तक रिश्ते नहीं सुधर सकते। जब वहां लोगों की सरकार आएगी, तब भारत-पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित होगी।”
पहलगाम आतंकी हमले को लेकर फारूक अब्दुल्ला का हमला: “ये पाकिस्तान की साजिश और सुरक्षा चूक का नतीजा”
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यह हमला पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करने की कोशिश का हिस्सा था और इसमें सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी चूक रही। उन्होंने पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा और वहां के आर्मी चीफ आसिफ मुनीर पर भी सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा:
“इसमें कोई दोराय नहीं है कि ये सुरक्षा और इंटेलिजेंस की चूक का मसला था। पाकिस्तान को ये पसंद नहीं आया कि हम अपनी जिंदगी अच्छे से जी रहे हैं।”
बता दें कि इस आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें दो विदेशी नागरिक भी शामिल थे। हमले के बाद जनता में भारी आक्रोश है और वे सरकार से आतंकियों और उन्हें पनाह देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
जातीय जनगणना पर फारूक अब्दुल्ला: “सच्चाई सामने आनी चाहिए, इसमें कोई बुराई नहीं”
फारूक अब्दुल्ला ने भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित जातीय जनगणना के फैसले पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वर्षों से विभिन्न आंकड़े सामने आ रहे हैं कि मुसलमानों की जनसंख्या कितनी है – कोई कहता है 11 करोड़, कोई 14 करोड़ या 22 करोड़। इस पर उन्होंने कहा:
“पहली दफा सही-सही पता लगे कि कौन कितने हैं – लोअर कास्ट, मुसलमान, सिख, ईसाई और दूसरे। इसमें कोई बुराई नहीं है।”
वक्फ कानून पर विरोध जारी: सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद जताई
फारूक अब्दुल्ला ने वक्फ कानून के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार का विरोध जताते हुए इसे पूरी तरह खारिज किया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि:
“हम इसका विरोध करते हैं, इसमें किसी तरह का कोई संदेह नहीं है। यह अब भी एक बड़ा मुद्दा है और हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद है।”