हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 6 मई : 2025,
नई दिल्ली/लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मंगलवार को भारत निर्वाचन आयोग से अहम बैठक की। यह बैठक चुनाव आयोग द्वारा विभिन्न राजनीतिक दलों और हितधारकों के साथ सीधे संवाद बढ़ाने की पहल के तहत आयोजित की गई। इस दौरान बसपा की ओर से तीन प्रमुख मांगें रखी गईं।
बैठक में मायावती के साथ बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा और पार्टी कोषाध्यक्ष श्रीधर भी उपस्थित रहे। चुनाव आयोग की ओर से मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी मौजूद थे।
मायावती की तीन प्रमुख मांगें:
- ओपिनियन पोल पर चुनाव से पहले प्रतिबंध लगे।
- ईवीएम की जगह बैलट पेपर से हो मतदान।
- मतदाता सूची को शुद्ध और पारदर्शी बनाया जाए।
चुनाव आयोग की पारदर्शिता पहल
चुनाव आयोग ने इस बैठक को “हितधारकों के साथ व्यापक और नियमित संवाद” की दिशा में एक रचनात्मक कदम बताया है। आयोग का उद्देश्य है कि राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर के सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल सीधे तौर पर अपनी चिंताएं और सुझाव आयोग के समक्ष रख सकें।
यह बैठक इस दृष्टिकोण से ऐतिहासिक रही क्योंकि यह आयोग द्वारा किसी राजनीतिक दल के साथ इस प्रकार की पहली सीधी बातचीत थी।
चुनाव प्रक्रिया को मजबूत करने की कोशिश
भारत निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि यह पहल मौजूदा कानूनी ढांचे के अंतर्गत चुनावी प्रक्रिया को और अधिक मजबूत, पारदर्शी और समावेशी बनाने के उद्देश्य से की गई है। आयोग के मुताबिक, इससे पहले देश भर में 4,719 सर्वदलीय बैठकें हो चुकी हैं, जिनमें 28,000 से अधिक राजनीतिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की भागीदारी
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा वर्तमान में भाजपा, कांग्रेस, बसपा, आम आदमी पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और नेशनल पीपुल्स पार्टी को राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसके अलावा लगभग 50 क्षेत्रीय दल भी आयोग से मान्यता प्राप्त हैं।