हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 16 अप्रैल: 2025,
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज दोपहर 2 बजे सुनवाई करेगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।
यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को नियंत्रित करने के लिए लाया गया है, लेकिन इसके खिलाफ राजनीतिक दलों, धार्मिक संगठनों और एनजीओ समेत कई पक्षों ने याचिकाएं दायर की हैं।
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई, वाईएसआर कांग्रेस, जमीयत उलेमा-ए-हिंद और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित कई संगठनों ने इसे असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी है।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह अधिनियम समानता के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि यह कानून वक्फ को दी गई संवैधानिक सुरक्षा को कमजोर करता है। वहीं ‘आप’ नेता अमानतुल्ला खान ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति को अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया है।
दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के कुशल प्रबंधन के लिए लाया गया है और इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद जताई है कि वह विधायिका के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे छह भाजपा शासित राज्यों ने इस मामले में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की है।
इस कानून के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। सबसे अधिक हिंसक प्रदर्शन पश्चिम बंगाल में हुए, जहां तीन लोगों की मौत हुई और कई लोग बेघर हो गए। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ किया है कि उनकी सरकार इस कानून को राज्य में लागू नहीं होने देगी।