हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 3 मई : 2025,
जमानत पर रिहा आरोपी को अमेरिका-फ्रांस यात्रा की अनुमति देने से इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने किया इनकार
लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि किसी रिश्तेदार की शादी में शामिल होने या विदेश में मौज-मस्ती के लिए यात्रा करना जमानत पर रिहा किसी विचाराधीन आरोपी के लिए “जरूरी कारण” नहीं माना जा सकता।
यह निर्णय न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने श्री राम मूर्ति स्मारक आयुर्विज्ञान संस्थान, बरेली के परामर्शदाता आदित्य मूर्ति की याचिका को खारिज करते हुए सुनाया।
तीन मई से 22 मई तक अमेरिका और फ्रांस यात्रा की मांगी थी अनुमति
याचिकाकर्ता आदित्य मूर्ति ने अदालत से अमेरिका में अपने रिश्तेदार की शादी और फिर फ्रांस में संबंधित समारोहों में भाग लेने के लिए 3 मई से 22 मई, 2025 तक की अंतरराष्ट्रीय यात्रा की अनुमति मांगी थी।
हालांकि, हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि यह एक “गैर-आवश्यक उद्देश्य” है और विचाराधीन आरोपी को ऐसी अनुमति नहीं दी जा सकती, खासकर जब मामला बचाव पक्ष के साक्ष्य के चरण में पहुंच चुका है।
पहले की गई विदेश यात्राएं भी रियायत का आधार नहीं
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही निचली अदालत ने पूर्व में गैर-आवश्यक कारणों से विदेश यात्रा की अनुमति दी हो, यह तथ्य इस बार भी अनुमति मिलने की कोई गारंटी नहीं है।
पीठ ने कहा, “केवल इसलिए कि अधीनस्थ अदालत ने आवेदक को कई मौकों पर गैर-आवश्यक उद्देश्यों के लिए विदेश यात्रा की अनुमति दी थी, उसे इस बार भी ऐसा करने का अधिकार नहीं है, जब मुकदमा बचाव पक्ष के साक्ष्य के चरण में पहुंच गया है।”
केवल जरूरी कारणों पर ही मिलेगी अनुमति: हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में दो टूक कहा कि जमानत पर रिहा आरोपी को केवल चिकित्सा उपचार, आवश्यक आधिकारिक कर्तव्यों या इसी तरह की जरूरी आवश्यकताओं के लिए ही विदेश यात्रा की अनुमति दी जा सकती है।
सीबीआई केस का एक दशक से अधिक समय से सामना कर रहे हैं मूर्ति
उल्लेखनीय है कि आदित्य मूर्ति पिछले दस वर्षों से अधिक समय से एक सीबीआई केस में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। उन्होंने विशेष सीबीआई अदालत, लखनऊ द्वारा 24 अप्रैल, 2025 को विदेश यात्रा अनुमति याचिका खारिज किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी।