हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
मंगलवार का दिन संकटमोचन हनुमान जी को समर्पित माना जाता है और इस दिन विशेष रूप से भक्त उन्हें सिंदूर का चोला चढ़ाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि चोला चढ़ाने से भक्तों को मानसिक-शारीरिक शक्ति मिलती है, भय दूर होते हैं और जीवन के कष्ट कम होते हैं। शास्त्रों में चोला चढ़ाने का विशिष्ट विधान बताया गया है, जिसकी जानकारी न होने के कारण कई बार भक्त भूल भी कर बैठते हैं।
किस समय चढ़ाएं चोला?
हनुमान जी को चोला चढ़ाने का सबसे शुभ समय मंगलवार और शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय के समय माना गया है। शाम के समय, विशेषकर शनिवार की संध्या को भी चोला चढ़ाना लाभदायक होता है।
चोला चढ़ाने का लाभ
मान्यता है कि हनुमान जी को चोला अर्पित करने से:
- संकटों का नाश होता है
- शनि व मंगल ग्रह के दोष कम होते हैं
- नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा मिलती है
- रुके कार्य बनने लगते हैं
- सौभाग्य एवं मनोकामनाओं की पूर्ति होती है
चोला चढ़ाने की मुख्य सामग्री
नारंगी सिंदूर, चमेली का तेल या घी, चांदी/सोने का वर्क, जनेऊ, लाल वस्त्र, इत्र, चमेली के फूल तथा 11 या 21 पीपल के पत्ते जिन पर “श्रीराम” लिखा जा सके।
चोला चढ़ाने की विधि
- मूर्ति को गंगाजल/स्वच्छ जल से स्नान कराकर पवित्र करें।
- सिंदूर और चमेली का तेल मिलाकर लेप तैयार करें।
- मिश्रण को पहले हनुमान जी के बाएं पैर से लगाना आरंभ करें।
- नीचे से ऊपर की ओर पूरा चोला चढ़ाएं।
- जनेऊ, वर्क और लाल वस्त्र अर्पित करें।
- पीपल के पत्तों पर “श्रीराम” लिखकर अर्पण करें।
- चने, गुड़ तथा मिठाई का भोग लगाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- आरती कर प्रसाद ग्रहण करें और थोड़ा सा सिंदूर तिलक रूप में लगाएं।
गलती हो जाए तो क्या करें?
यदि पूजा के दौरान कोई त्रुटि हो जाए, तो हनुमान जी से सच्चे मन से क्षमा याचना करें।
इसके पश्चात हनुमान चालीसा, सुंदरकांड या ॐ हं हनुमते नमः मंत्र का जाप करें।
आवश्यक हो तो मूर्ति को जल से पुनः पवित्र किया जा सकता है।















