हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ मंगलवार 27 मई 2025
गाजियाबाद। दिल्ली से सटे गाजियाबाद में घर का सपना देख रहे सैकड़ों परिवारों को बड़ा झटका लगा है। शहर के 548 आवंटियों के करीब 156 करोड़ रुपये बिल्डरों के पास फंसे हैं। न तो उन्हें मकान मिला और न ही उनकी रकम वापस की गई। ये मामला उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (UP RERA) तक पहुंचा, जहां सुनवाई के बाद बिल्डरों के खिलाफ वसूली प्रमाण पत्र (RC) जारी किए गए हैं।
अब यूपी रेरा के आदेश पर जिला प्रशासन ने ऐसे बिल्डरों से वसूली की कमान अपने हाथ में ले ली है। इसके लिए तीन तहसील स्तर की टीमें बनाई गई हैं, जो न सिर्फ गाजियाबाद, बल्कि नोएडा और दिल्ली में स्थित बिल्डरों के कार्यालयों पर जाकर दबिश देंगी और वसूली की कार्रवाई करेंगी।
प्रशासन ने इस पूरे अभियान का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2024-25 में पूरा करने का रखा है। यानी अगले कुछ महीनों में ही आवंटियों को उनकी रकम वापस दिलाने की पूरी कोशिश की जाएगी।
वसूली के लिए जिला प्रशासन ने लोनी, सदर और मोदीनगर तहसील की टीमें गठित की हैं। इन टीमों को शीर्ष 20 बिल्डरों की सूची सौंपी गई है। इन बिल्डरों से वसूली के लिए कार्यालयों पर जाकर नोटिस चिपकाने से लेकर कुर्की की प्रक्रिया तक अपनाई जा सकती है।
ये हैं टॉप 5 डिफॉल्टर बिल्डर और उनकी देनदारी
बिल्डर फर्म का नाम | जारी आरसी की संख्या | फंसी रकम (₹ करोड़ में) |
---|---|---|
सारे सामग रियलटी प्रा. लि. | 86 | 35.09 |
शाल्विया इन्फ्रा प्रा. लि. | 8 | 6.64 |
कृष्णा इस्टेट डेवलपर प्रा. लि. | 23 | 5.78 |
अंसल लैंडमार्क टाउनशिप प्रा. लि. | 18 | 5.74 |
जयपुरिया बिल्डकोन प्रा. लि. | 11 | 5.51 |
यूपी रेरा द्वारा जारी आदेशों को अगर बिल्डर नहीं मानते हैं तो राजस्व संहिता के तहत उनकी संपत्तियों की कुर्की और नीलामी तक की कार्रवाई हो सकती है। प्रशासन के इस कदम से आवंटियों को उम्मीद जगी है कि अब उन्हें उनका हक मिल सकेगा।
जिला प्रशासन ने कहा है कि जिन आवंटियों का पैसा फंसा है, वे रेरा या संबंधित तहसीलों से संपर्क कर अपनी जानकारी अपडेट कराएं, ताकि उन्हें वसूली के बाद शीघ्र राशि लौटाई जा सके।