हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
मुख्यमंत्री ने महर्षि वाल्मीकि जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आदिकवि महर्षि वाल्मीकि ने हम सबके मन में समाज के प्रति समर्पित होने का भाव उत्पन्न किया है। यही समर्पण भाव हमें ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार करने तथा राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ जोड़ता है। भगवान वाल्मीकि ने मनुष्य के सांसारिक उत्कर्ष के साथ-साथ उसकी मुक्ति का भी मार्ग प्रशस्त किया है। भगवान वाल्मीकि हमें लौकिक जीवन में आगे बढ़ाने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। पूरा मानव समाज महर्षि वाल्मीकि के प्रति कृतज्ञ है। भारत का कोई भी कथा वाचक सबसे पहली वन्दना महर्षि वाल्मीकि की ही करता है। महर्षि वाल्मीकि के प्रकटोत्सव पर आज प्रदेश के देव मन्दिरों में अखण्ड रामायण का पाठ चल रहा है।
श्रीराम के आदर्श थे महर्षि वाल्मीकि
मुख्यमंत्री जी आज यहां आदिकवि महर्षि वाल्मीकि की जयन्ती पर आयोजित उनके प्रकट दिवस समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इसके पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम की संज्ञा दी। उनके द्वारा वर्णित भगवान श्रीराम का चरित्र प्रत्येक देश व काल के लिए प्रासंगिक है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र से हम शिक्षा ग्रहण करते हैं कि भाई का भाई, पिता का पुत्र, माता का पुत्र तथा राजा का प्रजा के साथ क्या सम्बन्ध होना चाहिए। भगवान श्रीराम ने प्रत्येक कार्य की मर्यादा तय की। भगवान श्रीराम का आदर्श महर्षि वाल्मीकि ने हमारे सामने रखा।
चरित्रवान होना महत्वपूर्ण
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि भारत के महापुरुषों की परम्परा के भाग्य विधाता हैं। लोक कल्याण और साधना से तपे हुए भगवान वाल्मीकि ने महर्षि नारद से प्रश्न किया कि ’चारित्रेण च को युक्तः’ अर्थात् किसका चरित्र ऐसा है, जिसके बारे में लेखन कार्य किया जा सके। ऐसा उन्होंने इसलिए पूछा क्योंकि वह जानते थे कि चरित्र से युक्त व्यक्ति ही लोक व राष्ट्र कल्याण का माध्यम बन सकता है। इस प्रश्न का उत्तर स्वयं देते हुए उन्होंने कहा कि ’रामो विग्रहवान् धर्मः’ अर्थात् श्रीराम ही साक्षात धर्म हैं। जब स्वामी विवेकानंद शिकागो की धर्म सभा में गए, तो वहां के लोग उनकी वेशभूषा देखकर हंसने लगे। स्वामी विवेकानंद ने उन लोगों से कहा कि आपके देश में पहनावे से व्यक्ति की पहचान होती है, जबकि हमारे देश में व्यक्ति की पहचान चरित्र से होती है। हमारे लिए चरित्रवान होना अत्यन्त महत्वपूर्ण है।