हिन्दुस्तान मिरर न्यूज
उत्तराखंड में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। अब तक 17 शिक्षण संस्थानों पर फर्जीवाड़े के आरोप लग चुके हैं। जिलाधिकारियों की जांच में सामने आया कि करीब 1 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति ऐसे छात्रों को दे दी गई जो उत्तराखंड के निवासी नहीं हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, रुद्रप्रयाग जिले के वासुकेदार क्षेत्र में स्थित एक संस्कृत विद्यालय, जिसका संचालन नसीरुद्दीन कर रहे हैं, वहां पंजीकृत छात्र पश्चिम बंगाल के परगना-24 जिले के पाए गए। इसी प्रकार, किच्छा क्षेत्र के एक सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल, जिसके संचालक मोहम्मद शफ़ीक़ और रफ़ीक बताए जा रहे हैं, वहां पंजीकृत छात्र बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश से जुड़े मिले।
छात्रवृत्ति योजना का उद्देश्य उत्तराखंड के अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब छात्रों को आर्थिक सहायता देना है, लेकिन जांच में पता चला कि बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से बाहरी छात्रों को लाभ दिलाया गया।
इस घोटाले के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए SIT (विशेष जांच दल) से जांच कराने के आदेश दे दिए हैं। शुरुआती जांच में यह भी पता चला है कि कुछ संस्थान छात्रों की उपस्थिति दर्ज कराने और शैक्षणिक दस्तावेजों में हेरफेर करके योजना का दुरुपयोग कर रहे थे।
सरकार अब इन सभी संस्थानों की पुनः जांच कराने के साथ-साथ दोषी अधिकारियों और संस्था प्रमुखों पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रही है। यह मामला सिर्फ वित्तीय हेराफेरी का ही नहीं, बल्कि राज्य की छात्रवृत्ति नीति की पारदर्शिता और प्रभावशीलता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।