हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
अलीगढ़, 25 अगस्तः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सुन्नी थियोलॉजी विभाग द्वारा इस्लामिक फिकह अकादमी के सहयोग से आयोजित दो-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “समकालीन संस्थानों में इस्लामी विज्ञान में अध्ययन और शोधः पद्धति एवं उद्देश्य” का समापन एक समापन सत्र के साथ हुआ जिसमें इस्लामी विद्वत्ता में गहन शोध, संदर्भात्मक समझ और आधुनिक उपकरणों के समावेश की आवश्यकता पर बल दिया गया।
समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए एएमयू कला संकाय के पूर्व डीन प्रो. कफील अहमद कासमी ने इस्लामी इतिहास और विचारधारा के बारे में फैली भ्रांतियों का मजबूत शोध के माध्यम से प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पद्मश्री प्रो. अख्तरुल वासे ने शोधार्थियों से आग्रह किया कि वे अपने अध्ययनों में सामाजिक-ऐतिहासिक संदर्भों पर विचार करें, जबकि प्रो. अब्दुल रहीम किदवई ने उच्च शोध मानकों को अपनाने और सतही दृष्टिकोण से बचने की महत्ता पर बल दिया।
संगोष्ठी की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए थ्योलॉजी संकाय के डीन और सुन्नी थ्योलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. मोहम्मद हबीबुल्लाह कासमी ने बताया कि छह सत्रों में देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के विद्वानों द्वारा 55 शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें इस्लामी विज्ञान में आधुनिक शोध पद्धति, नैतिक शिक्षा और धार्मिक अध्ययन में डिजिटल तकनीक के उपयोग जैसे विषय शामिल थे।
संगोष्ठी का समापन शोध पद्धति में व्यावहारिक प्रशिक्षण, वैश्विक पहुंच हेतु अरबी और अंग्रेजी में प्रकाशनों को बढ़ावा देना, समकालीन सामाजिक-वैधानिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना, संस्थागत सहयोग को प्रोत्साहित करना और शिक्षण एवं शोध में डिजिटल संसाधनों का समावेश शामिल है।
धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सऊद आलम कासमी ने प्रस्तुत किया।