हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ मंगलवार 3 जून 2025
गाजियाबाद/प्रयागराज/नोएडा – उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण के नाम पर हो रही जालसाजी पर अंकुश लगाने के लिए हाईकोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। अब बिना परिवार की मौजूदगी के विवाह पंजीकरण तभी संभव होगा, जब शादी कराने वाला व्यक्ति स्वयं उपस्थित रहेगा और शपथपत्र देगा। यह निर्देश उन मामलों में विशेष रूप से लागू होंगे, जहां घर से भागकर विवाह किया गया है।
हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार, विवाह पंजीकरण केवल उसी जिले में होगा, जहां वर या वधु या उनके माता-पिता स्थायी निवासी हों। साथ ही अपंजीकृत रेंट एग्रीमेंट को अब मान्यता नहीं दी जाएगी। वर-वधु की उम्र का सत्यापन भी अनिवार्य होगा।
रैकेट का खुलासा, एक दिन में शादी और पंजीकरण
जांच में सामने आया है कि कई जिलों में घर से भागे जोड़ों की शादी कराने वाला रैकेट सक्रिय है। ये रैकेट आर्य समाज विवाह का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर, दूसरे राज्यों के जोड़ों की शादी उत्तर प्रदेश में दिखाते हैं और उसी दिन विवाह पंजीकरण करवा देते हैं। गाजियाबाद, नोएडा, प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर और मेरठ जैसे शहरों में इस तरह की गतिविधियां तेज़ी से बढ़ी हैं।
हाईकोर्ट में दर्ज याचिकाओं के अनुसार, ऐसे 90 प्रतिशत मामलों में विवाह और पंजीकरण की तारीख एक ही पाई गई। इतना ही नहीं, इन मामलों में जोड़े से हाईकोर्ट में पुलिस सुरक्षा के लिए रिट दायर कराई जाती है। 2024 में एक युवक शनिदेव द्वारा दायर सुरक्षा याचिका के बाद ऐसे मामलों की संख्या इतनी बढ़ गई कि कोर्ट को स्पेशल कैटेगरी बनानी पड़ी। कोर्ट ने 125 याचिकाओं को एक साथ सुनवाई के लिए क्लब किया।
हाईकोर्ट ने एआईजी स्टांप गाजियाबाद, नोएडा और प्रयागराज को निर्देश दिए कि वे विवाह पंजीकरण के डाटा सहित व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हों। खुलासा हुआ कि केवल गाजियाबाद में वर्षभर में 29 हजार से अधिक विवाह पंजीकृत हुए, जबकि अन्य शहरों में भी आंकड़े इसी के आसपास हैं। स्टांप एवं पंजीकरण विभाग ने दलील दी कि फिलहाल पंजीकरण की सत्यापन व्यवस्था मौजूद नहीं है और न ही इस बाबत कोई नियमावली है।
छह महीने में नए नियम बनें, तब तक अस्थायी व्यवस्था
हाईकोर्ट ने मई 2025 में शनिदेव मामले में फैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि विवाह पंजीकरण की नियमावली छह महीने में बदली जाए। तब तक अंतरिम व्यवस्था के रूप में विवाह पंजीकरण केवल उसी जिले में किया जाएगा, जहां वर-वधु या उनके परिजन स्थायी रूप से निवास करते हों।
- विवाह प्रमाण पत्र न होने पर अदालत में विवाह का अस्तित्व साबित करना मुश्किल हो सकता है, खासकर गुज़ारा भत्ता, संतान की कस्टडी या संपत्ति विवाद में।
- पंजीकरण के बिना दंपत्ति को वैवाहिक स्थिति से जुड़ी कानूनी व सामाजिक मान्यता नहीं मिलती।
- विदेश यात्रा या वीज़ा आवेदन के लिए वैध विवाह प्रमाण पत्र अनिवार्य है।
- तलाक या विवाद की स्थिति में विवाह प्रमाण पत्र ही सबसे अहम दस्तावेज होता है।
सरकार की प्रतिक्रिया
रवीन्द्र जायसवाल, स्टांप एवं पंजीयन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा,
“बेटियों के उत्पीड़न को रोकने और उनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए विवाह पंजीकरण प्रणाली को पारदर्शी व सख्त बनाया जा रहा है। हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार सभी संबंधित विभाग मिलकर फर्जीवाड़े पर रोक लगाने की दिशा में ठोस कदम उठा रहे हैं।”