हिन्दुस्तान मिरर न्यूज
अलीगढ़, 21 अगस्त।
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता स्व. कल्याण सिंह ‘बाबूजी’ की चतुर्थ पुण्यतिथि पर आज अलीगढ़ के तालानगरी में तृतीय हिंदू गौरव दिवस का आयोजन भव्य स्तर पर होने जा रहा है। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, सहित कई कैबिनेट और राज्य मंत्री मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम में साधु-संतों, राष्ट्रीय स्तर के वक्ताओं और हजारों कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रहेगी।
सीएम योगी का कार्यक्रम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज पहले एटा में सीमेंट प्लांट का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद दोपहर एक बजे हेलीकॉप्टर से अलीगढ़ पहुंचेंगे और तालानगरी स्थित सभा स्थल में आयोजित हिंदू गौरव दिवस को संबोधित करेंगे। अनुमान है कि वे यहां करीब डेढ़ घंटे रुकेंगे और दोपहर ढाई बजे आगरा के लिए रवाना होंगे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सुबह पौने 10 बजे दिल्ली से सड़क मार्ग द्वारा अलीगढ़ के लिए रवाना होंगे और दोपहर सवा 12 बजे यहां पहुंचेंगे। वह लगभग साढ़े तीन बजे कार्यक्रम से वापस लौटेंगे। इनके अलावा गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, मंत्री असीम अरुण, पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह, शिक्षा मंत्री कपिल देव अग्रवाल, सांसद साक्षी महाराज सहित कई वीआईपी हस्तियां शामिल होंगी।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
कार्यक्रम को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस ने चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था तैनात की है।
- दो कंपनी पीएसी और एक कंपनी आरएएफ को तैनात किया गया है।
- सादा वस्त्रों में पुलिसकर्मी संदिग्धों पर नजर रखेंगे।
- हेलिपैड और कार्यक्रम स्थल पर ड्रोन कैमरों से निगरानी रखी जाएगी।
- मंडलायुक्त संगीता सिंह, डीएम संजय रंजन, और एसएसपी संजिव सुमन ने बुधवार देर रात तक अधिकारियों के साथ सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की।
- सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को आई-कार्ड धारण करने के निर्देश दिए गए हैं।
नगर निगम ने कसी कमर
नगर निगम ने वीवीआईपी आगमन को देखते हुए तालानगरी से लेकर रामघाट रोड तक सफाई, अतिक्रमण हटाने और कूड़ा उठान अभियान चलाया।
मेयर प्रशांत सिंघल और नगर आयुक्त प्रेम प्रकाश मीणा ने खुद मौके पर पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया। पिछले दौरे पर निगम को सीएम की नाराजगी झेलनी पड़ी थी, इसलिए इस बार प्रशासन ने विशेष सावधानी बरती है।
होटल फुल, शहर में वीआईपी मूवमेंट
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के पहुंचने से बुधवार शाम तक शहर के लगभग सभी होटल फुल हो गए। सीएम सुरक्षा से जुड़े अधिकारी भी बुधवार रात से ही अलीगढ़ में डेरा डाले हुए हैं।
हाथरस में बंद रहेंगे निजी स्कूल
कार्यक्रम के कारण भारी भीड़भाड़ और सुरक्षा को देखते हुए हाथरस में आठवीं तक के निजी स्कूल आज बंद रहेंगे। बीएसए ने आदेश जारी कर छात्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। वहीं अलीगढ़ में भी कई निजी स्कूलों ने स्वयं अवकाश घोषित किया है।
कल्याण सिंह की राजनीति और भाजपा की रणनीति
भाजपा इस आयोजन के जरिए न सिर्फ स्व. कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि दे रही है, बल्कि 2027 की रणनीति का संदेश भी देना चाहती है।
- बाबूजी ने अपने कार्यकाल में हिंदुत्व और सोशल इंजीनियरिंग दोनों को साधा था।
- उन्होंने पिछड़े वर्गों, विशेषकर लोध समाज, को भाजपा से जोड़ा।
- 1991 में पहली बार वे सीएम बने और 1997 में दूसरी बार सत्ता संभाली।
- 1992 में विवादित ढांचा गिराए जाने की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया, जिससे वे हिंदुत्व राजनीति का बड़ा चेहरा बन गए।
- 1998 के लोकसभा चुनावों में उनकी रणनीति से भाजपा ने यूपी से 56 सीटें जीतीं।
भाजपा अब भी उनके नाम और उनकी लोकप्रियता के सहारे पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग को साधना चाहती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठजोड़ की काट के लिए भाजपा को बाबूजी की विरासत सबसे मजबूत हथियार लग रही है।
लोध वोटरों की भूमिका
लोध समाज कई जिलों में निर्णायक भूमिका निभाता है। अलीगढ़, आगरा, बुलंदशहर, फिरोजाबाद, इटावा, कानपुर, झांसी, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, हरदोई, शाहजहांपुर, लखीमपुर, फर्रुखाबाद सहित 20 से अधिक जिलों में इनकी संख्या 5 से 10 फीसदी तक है।
कल्याण सिंह के प्रति श्रद्धा और सहानुभूति लहर को भाजपा 2027 के चुनाव में भुनाना चाहती है।
शिक्षक से मुख्यमंत्री तक का सफर
कल्याण सिंह का राजनीतिक सफर शिक्षक से मुख्यमंत्री तक का रहा। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए सामाजिक सरोकारों को जोड़ा और फिर भाजपा की राजनीति में प्रवेश किया।
राम मंदिर आंदोलन में वे नायक की भूमिका में उभरे और भाजपा नेतृत्व में शीर्ष स्थान प्राप्त किया।
उनके कठोर और निर्णायक फैसलों ने उन्हें ‘राजनीति का सिंह’ बना दिया।
आज का हिंदू गौरव दिवस केवल श्रद्धांजलि का अवसर नहीं है, बल्कि भाजपा के लिए भविष्य की राजनीति की दिशा तय करने का मंच भी है। बाबूजी की स्मृतियों को पुनर्जीवित कर पार्टी पिछड़े वर्गों और हिंदुत्व की एक नई गोलबंदी करने की कोशिश में है।