हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑17 मई : 2025
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की कुलपति नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर दायर याचिका पर आज यानी 17 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट अपना फैसला सुनाने जा रहा है। इस मामले की सुनवाई अप्रैल 2025 में पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ता प्रोफेसर मुजाहिद बेग ने नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं और एक विशेष उम्मीदवार को अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप लगाए थे।
प्रो. मुजाहिद बेग, जो कि एएमयू के एक वरिष्ठ शिक्षक हैं, ने नवंबर 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही और इसमें नियमानुसार चयन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। उनका कहना है कि प्रक्रिया के दौरान एक खास उम्मीदवार को प्राथमिकता दी गई, जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
याचिका में उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विश्वविद्यालय के सर्वोच्च प्रशासनिक पद के लिए चयन में विश्वविद्यालय अधिनियम एवं यूजीसी दिशा-निर्देशों की अवहेलना की गई है।
इस मामले में 3, 4 और 5 मार्च 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष सुनवाई हुई थी। इस दौरान न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डी. रमेश की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। सुनवाई पूरी होने के बाद अप्रैल में कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब 17 मई को सुनाया जाना है।
इस मामले पर प्रो. मुजाहिद बेग ने कहा, “मैंने हमेशा विश्वविद्यालय के हितों को सर्वोपरि माना है और नियमों की रक्षा के लिए यह कानूनी लड़ाई लड़ी है। 17 मई को हाईकोर्ट का जो भी निर्णय आएगा, मैं उसका सम्मान करूंगा। मेरा संघर्ष किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि प्रणाली की शुद्धता और पारदर्शिता के लिए है। एएमयू मेरी आत्मा से जुड़ा संस्थान है और इसके उज्जवल भविष्य के लिए मैं हमेशा प्रयासरत रहूंगा।”
आज का दिन एएमयू के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि यह फैसला न सिर्फ कुलपति नियुक्ति की वैधता पर रोशनी डालेगा, बल्कि भविष्य में उच्च शिक्षण संस्थानों में नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता और कानूनी व्यवस्था को लेकर भी मिसाल कायम कर सकता है।