रूस और नाटो के बीच बढ़ते तनाव के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दुनिया को अपने सैन्य दमखम का संदेश दिया है। पोलैंड सीमा पर हालिया घटनाओं और पश्चिमी दबाव के बीच रूस ने हाइपरसोनिक व परमाणु क्षमता वाली मिसाइलों का सफल परीक्षण कर यह जताया कि वह किसी भी कीमत पर झुकने वाला नहीं है।
बारेंट्स सागर में जिरकॉन का वार
रूस-बेलारूस की संयुक्त सैन्य कवायद “जापाद” के दौरान रूसी नेवी ने बारेंट्स सागर में लक्ष्य पर जिरकॉन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल दागी। यह मिसाइल सीधा निशाने पर लगी और लक्ष्य पूरी तरह तबाह हो गया। नौ गुना ध्वनि की गति से उड़ने वाली यह मिसाइल 1000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक प्रहार कर सकती है। इसकी मारक क्षमता 300-400 किलो वॉरहेड तक मानी जाती है। यही कारण है कि इसे रूस का “अल्टीमेट वेपन” कहा जा रहा है।
सुखोई बमवर्षक और नौसेना की ताकत
सिर्फ मिसाइल ही नहीं, बल्कि सुखोई Su-34 सुपरसोनिक फाइटर-बॉम्बर्स ने भी जमीन पर बमबारी का अभ्यास किया। वहीं, लंबी दूरी के एंटी-सबमरीन एयरक्राफ्ट भी इस ड्रिल में शामिल रहे। रूसी रक्षा मंत्रालय ने वीडियो फुटेज जारी कर यह दिखाया कि उसका हर हथियार पश्चिमी दबाव का जवाब देने के लिए तैयार है।
रूस-नाटो आमने-सामने
मॉस्को और मिन्स्क ने इसे रक्षात्मक कवायद बताया, लेकिन नाटो ने तुरंत “ईस्टर्न सेंट्री ऑपरेशन” शुरू कर दिया। हाल ही में रूसी ड्रोन पोलैंड में दाखिल हुए थे, जिससे तनाव और गहरा गया। विशेषज्ञ मानते हैं कि जिरकॉन मिसाइल रूस की “गेम-चेंजर” रणनीति है, जिसे रोकना वर्तमान एंटी-मिसाइल सिस्टम के लिए असंभव है।
वैश्विक असर
यह शक्ति प्रदर्शन दोहरे संदेश के रूप में देखा जा रहा है—पहला, रूस अपनी सैन्य श्रेष्ठता से समझौता नहीं करेगा। दूसरा, नाटो ने दबाव बढ़ाया तो जवाब और भी सख्त होगा। भारत जैसे देशों के लिए यह घटनाक्रम अहम है, क्योंकि इससे ऊर्जा सुरक्षा और एशिया-यूरोप पावर बैलेंस पर गहरा असर पड़ेगा।