हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 13 मई : 2025,
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में आगामी 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज होती जा रही है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस चुनाव के लिए अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है और एक बेहद सख्त और ज़मीनी पैमाना तय किया है टिकट वितरण के लिए। अब पार्टी सिर्फ उन्हीं नेताओं और कार्यकर्ताओं को चुनाव मैदान में उतारेगी जो बूथ स्तर पर पूरी तरह से सक्रिय होंगे और संगठन को मजबूती देने का कार्य करेंगे।
बूथ स्तर की सक्रियता बनेगी टिकट का आधार
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी नेताओं और पदाधिकारियों को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में उन्हीं को टिकट मिलेगा जिनकी सक्रियता बूथ स्तर पर सिद्ध होगी। कार्यकर्ताओं और नेताओं के प्रदर्शन का मूल्यांकन इस बात पर आधारित होगा कि वे कितने सक्रिय हैं – खासतौर पर पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) एजेंडे को जनता तक पहुंचाने में।
संगठन को मजबूत करने पर फोकस
सपा ने प्रदेश मुख्यालय से सभी जिला और नगर कमेटियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं कि अब शिकायतबाज़ी का दौर खत्म किया जाए। किसी की शिकायत करने में समय बर्बाद करने के बजाय कार्यकर्ता अपने-अपने बूथ पर जाकर संगठन को मजबूती देने में जुटें। पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की गई है कि वे घर-घर जाकर पीडीए पर्चा (जिसमें संविधान पर मंडरा रहे खतरों का ज़िक्र है) वितरित करें और जनता को जागरूक करें।
मतदाता सूची पर रखें पैनी नजर
सपा कार्यकर्ताओं को कहा गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में मतदाता सूचियों पर पैनी निगाह रखें ताकि अगर किसी तरह की गड़बड़ी नजर आए तो समय रहते उसे सुधारा जा सके। यह पहल न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ाएगी, बल्कि संगठन की जमीनी पकड़ भी मज़बूत करेगी।
कार्यक्रमों की शृंखला जारी, सक्रियता का होगा मूल्यांकन
पार्टी ने आगामी दिनों के लिए कार्यक्रमों की एक विस्तृत शृंखला जारी कर दी है, जिनमें पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की भागीदारी के आधार पर उनकी सक्रियता का आकलन किया जाएगा। इससे पार्टी नेतृत्व को यह अंदाजा लगेगा कि कौन कार्यकर्ता चुनाव लड़ने के योग्य है और कौन संगठन के लिए कितना प्रतिबद्ध है।
छह महीने पहले घोषित होंगे प्रत्याशी
सपा सूत्रों के मुताबिक, आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र पार्टी अपने प्रत्याशियों के नाम चुनाव से कम से कम छह महीने पहले घोषित कर देगी। इसका उद्देश्य है कि प्रत्याशियों को अपने क्षेत्रों में पर्याप्त समय मिले ताकि वे बेहतर तैयारी कर सकें और जनता से जुड़ाव बढ़ा सकें।
टिकट के लिए स्पष्ट मापदंड
सपा की इस नई रणनीति में अब नेतृत्व, ज़मीनी पकड़, सक्रियता और संगठन के लिए समर्पण को टिकट वितरण का मुख्य मापदंड बनाया गया है। इससे पार्टी न केवल संगठनात्मक ढांचे को और मज़बूत करने की कोशिश कर रही है, बल्कि जमीनी नेताओं को आगे लाने की रणनीति भी बना रही है।