हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ 20 मई : 2025
मुरादाबाद: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव द्वारा विंग कमांडर व्योमिका सिंह को लेकर की गई जातीय टिप्पणी विवाद का केंद्र बनी हुई है। उनकी इस टिप्पणी को लेकर अब उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं और मामला उच्च स्तरीय न्यायिक एवं संवैधानिक संस्थान, यानी यूपी एससी/एसटी आयोग तक पहुंच गया है।
सोमवार को भारत रत्न बौद्ध महापुरुष डॉ. भीमराव आंबेडकर महासभा की महिला प्रकोष्ठ ने इस मामले में यूपी एससी/एसटी आयोग में शिकायत दर्ज कराई। महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष रचना चंद्रा ने आरोप लगाया कि रामगोपाल यादव ने विंग कमांडर व्योमिका सिंह के खिलाफ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर न केवल उनके व्यक्तिगत सम्मान को आघात पहुंचाया है, बल्कि पूरे अनुसूचित जाति समाज का अपमान भी किया है।
शिकायत में बताया गया कि 15 मई को मुरादाबाद के बिलारी में आयोजित एक कार्यक्रम में रामगोपाल यादव ने विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर जानबूझकर उनकी उपजाति का उल्लेख किया था। शिकायतकर्ता का कहना है कि यदि उनकी मंशा केवल पहचान बताने की होती तो वह अनुसूचित जाति का नाम ले सकते थे, लेकिन उन्होंने खासतौर पर उनकी उपजाति ‘जाटव’ का जिक्र किया, जो कि अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध माना जाता है।
यूपी एससी/एसटी आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि रामगोपाल यादव द्वारा जातिसूचक टिप्पणी करना न केवल व्यक्तिगत अपमान है, बल्कि सामाजिक सद्भाव को भी नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने बताया कि मामले की सुनवाई जल्द ही आयोग की पूर्णकालिक पीठ में होगी, जहां निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की जाएगी ताकि पीड़ित को न्याय मिल सके।
रामगोपाल यादव ने हाल ही में बीजेपी के कुछ सदस्य जैसे कर्नल सोफिया, विंग कमांडर व्योमिका सिंह और एयर मार्शल एके भारती का जिक्र करते हुए विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कर्नल सोफिया को मुस्लिम बताते हुए, विंग कमांडर व्योमिका सिंह को हरियाणा की जाटव उपजाति से जोड़कर उनकी जाति का भी उल्लेख किया। इसके साथ ही एयर मार्शल भारती को पूर्णिया के यादव के रूप में पेश किया था। ये सभी बातें चुनावी राजनीति और जातीय पहचान के संदर्भ में काफी चर्चा में रही हैं।
महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष रचना चंद्रा ने आयोग से मांग की है कि मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच हो ताकि ऐसे जातिसूचक अपमानजनक बयानों पर कड़ी कार्रवाई हो सके और समाज में समानता व सम्मान की भावना बनी रहे। उन्होंने कहा कि यह कोई मामूली विवाद नहीं है बल्कि पूरे अनुसूचित जाति समाज की गरिमा पर चोट है।